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Tuesday, September 15, 2020

अमृत ध्वनि छंद- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

 अमृत ध्वनि छंद- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


लपटे राहय ढ़ोंग अउ, रूढ़िवाद के आग।

मनखे ना मनखे रहै, अपन ठठावय भाग।।

अपन ठठावय, भाग भरोसा, बइठे राहय।

लोभ मोह मा, पड़े मनुज मन, अइठे राहय।।

झूठ पाप के, रात अँधेरा, राहय घपटे।

साँप बरोबर, पाखंडी मन, जग मा लपटे।।


गुरु घासी अवतार ले, धरिन धरा मा पाँव।

मनखे मनखे एक कर, देइस सुख के छाँव।।

देइस सुख के, छाँव सुमत अउ, समता लाये।

मानवता के, पाठ पढ़ा गुरु, ज्ञान लखाये।।

घट मा ही तो, वास देव अउ, मथुरा काशी।

धरौ सत्य ला, कहे सदा ही, गुरु जी घासी।।


सतरा सौ छप्पन रहे, रहे दिसंबर मास।

अट्ठारह तारीख अउ, सोमवार दिन खास।।

सोमवार दिन, खास जनम ले, गुरु जी आइस।

छत्तीसगढ़ अउ, ये भुइँया के, मान बढ़ाइस।।

सत महिमा धर, गुरु रेंगाये, बइला अदरा।

करे जाप तप, उमर रहे जब, सोलह सतरा।।


गाथा घासीदास गुरु, महिमा अपरंपार।

अमरौतिन महँगू बबा, के घर ले अवतार।।

के घर ले अवतार सत्य बन, अलख जगाये।

जात पात अउ, उँच नीच के, भेद मिटाये।।

गजानंद जी, पाँव परे नित, टेके माथा।

जन जग गुरु के, गावत राहय, महिमा गाथा।।



छंदकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

7 comments:

  1. गज़ब सुग्घर रचना सर

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  2. लाजवाब, बहुत सुन्दर, उम्दा, बेहतरीन रचना की हार्दिक बधाई

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  3. सादर धन्यवाद सर जी

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  4. जय जय सतनाम 🙏🙏
    बड़ सुग्घर रचना गुरुदेव बहुत बहुत बधाई 💐💐🙏🙏

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  5. अमृत ध्वनि छंद बहुत बढि़या पात्रे जी

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  6. वाह वाह बहुत सुन्दर गुरूजी

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