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Thursday, September 24, 2020

अमृतध्वनि छंद : पोखन लाल जायसवाल

 अमृतध्वनि छंद : पोखन लाल जायसवाल


1

घर सब सुनता ले चलै, गीत मया के गाव।

मया बरोबर सब मिलौ, राखव मन के भाव।

राखव मन के, भाव एक अउ, मिलजुल राहव।

गोठ गोठिया, दया मया के, सबझन हाँसव।

बाँट बाँट के, रोटी खावव, देवव आदर।

पेड़ लगै अउ, सुनता के फर, होवय सब घर।।


2


करथे जउन घमंड सब, चिटिक समझ नइ आय।

रहिके दूर घमंड ले, जिनगी सब सुख पाय।

जिनगी सब सुख, पाय कहाँ जब, खोय मितानी।

बात बात मा, मिलै जान तैं, तोर निशानी।

सुनके सबके, गुरतुर बोली, मन हर भरथे। 

का घमंड हे, निसदिन जेला, मनखे करथे।।


3


कमिया मन जब घूमही, बनके जाँगर चोर।

कोन कमाही खेत सब, बइला नाँगर जोर।

बइला नाँगर, जोर लगाही, बनके कमिया।

नइ परही तब, खेत खार अउ, कोनो परिया।

खेत खार के, धान-पान हर, होही बढ़िया।

दू मन आगर, भरही कोठी, सुन ले कमिया


रचना-पोखन लाल जायसवाल

पलारी (बलौदाबाजार)

3 comments:

  1. बहुत बढ़िया रचना अमृत ध्वनि छंद मा पोखन जी

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  2. बहुत सुघ्घर रचना हे पोखन जी।अमृत ध्वनि छंद मा।

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  3. आप मन के बहुत बहुत धन्यवाद

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