अमृत ध्वनि छंद-मनोज कुमार वर्मा
*मॅंय*
सबला मॅंय हर खात हे, रखे मया ले दूर।
भेद भाव सब बाढ़ गे, अहंकार मा चूर।।
अहंकार मा, चूर देख अब, जिनगी हावय।
मान कहॉं तब, धन के रोगी, जग मा पावय।
एक बरोबर, जान सबो ला, भेद छोड़ अब।
धन दौलत के, नशा नाश ला, करथे जी सब।।
छाये हावय आज गा, भारी जी अभिमान।
बूड़े खुद मा हे सबो, पाके धन ला जान।।
पाके धन ला, जान भेद तॅंय,सही गलत हे।
नाम नही ता, रही तोर जब, सॉंस चलत हे।।
सदा जगत मा, रहे करम हर, नाम कमाये।
छोड़व मॅंय के, बुरा काम जे, मन मा छाये।।
करके तॅंय अभिमान ला, बनगे का धनवान।
मॅंय के आगी मा जरे, कइसे पाबे मान।।
कइसे पाबे, मान जगत मा, अउ दिही कोन।
नइ मिलय मया, तोला मॉंगे, मा घलो लोन।।
बोह मूड़ मा, लेख करम के, जाबे धरके।
सोच पाय का, तॅंय ये जग मा, मॅंय मॅंय करके।।
*किसान*
बैरी बन बरसात हर, देख अभी हे आय।
खेती बारी बूड़गे, चिंता भारी छाय।।
चिंता भारी, छाय हवै अब, किसान ला सब।
कइसे बचही भगवान फसल हर हमरो अब।।
रोवत हे मन, खेत खार हर, माते गैरी।
काबर बरसे, तॅंय किसान बर, बनके बैरी।।
मनोज कुमार वर्मा
बरदा लवन बलौदा बाजार
कक्षा 11
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Saturday, September 5, 2020
अमृत ध्वनि छंद-मनोज कुमार वर्मा
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बहुत सुन्दर सर
ReplyDeleteमनोरम
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन अमृत ध्वनि छंद गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन अमृत ध्वनि छंद गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाई जी
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