अमृतध्वनि छंद -आशा आजाद"कृति"
शिक्षा
शिक्षा ता अनमोल हे, करथे नित उद्धार ।
हिरदे बारय जोत ला, अंतस भरथे सार ।
अंतस भरथे- सार अँधेरा, दूर भगावै ।
ज्ञान सबो के, जिनगी ला जी, श्रेष्ठ बनावै ।
आशा कहिथे, गुरु ले लेवौ, सुघ्घर दीक्षा ।
मान दिलाही, श्रेष्ठ बनाही, सबला शिक्षा ।।
ज्ञानी
ज्ञानी निर्मल बोलथे, होय उँखर गुनगान ।
अमरित बगरावै सदा, सुघ्घर बाँटय ज्ञान ।।
सुघ्घर बाँटय- ज्ञान नेक ओ, पथ दिखलावै ।
कठिन डगर ला, अपन ज्ञान ले, सरल बनावै ।
आशा कहिथे, गुरु के रहिथे, सुघ्घर बानी ।
धारण करलौ, सहज वचन जे, बोलय ज्ञानी ।।
पारस होथे बेटी
पारस बेटी ला कहय, एखर ले संसार ।
विश्व धरा के सार हे,बाटय निरमल प्यार ।
बाटय निरमल- प्यार सान हे, घर के कहिथे ।
रिश्ता नाता,सदा निभावै, दुख सब सहिथे ।
विपदा मा जी, बेटी सबला, देवय साहस ।
सदा कहाइस, सदा कहाही, बेटी पारस ।।
छंदकार - आशा आजाद"कृति"
पता - मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़
बहुत सुंदर छंद, बहुत बधाई
ReplyDeleteआभार श्लेष भाई🙏
Deleteबहुत बढि़या छंद।बहन बधाई हो आपला
ReplyDeleteआभाद दीदी🙏🙏
Deleteआभार दीदी🙏
Deleteसुग्घर भाव गर्भित अमृत ध्वनि।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआभार परम श्रद्धेय गुरुदेव🙏🙏
Deleteआभार दीदी🙏🙏
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुते सुघ्घर दीदी
ReplyDeleteशानदार दीदी
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