अमृतध्वनि छंद-शोभामोहन श्रीवास्तव
पाना पतझर मा झरे-शोभामोहन श्रीवास्तव
पाना पतझर मा झरे,आवय तभे बहार ।
दुख पाछू सुख हे लगे,लहुटे पहुटे बार ।।
लहुटे पहुटे बार चलत नर ,लाख जतन कर ।
सुख के चक्कर,दुखद गली धर,कतको मर मर।
छोड़ गाँव घर,कहूँ मेर टर,नइ छोंड़य डर ।
बेरा हे खर,बोलत झरझर, पाना पतझर ।।
शोभामोहन श्रीवास्तव
अमलेश्वर रायपुर
बहुत सुग्घर दीदी जी
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