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Friday, September 25, 2020

पाना पतझर मा झरे-शोभामोहन श्रीवास्तव

 अमृतध्वनि छंद-शोभामोहन श्रीवास्तव


पाना पतझर मा झरे-शोभामोहन श्रीवास्तव


पाना पतझर मा झरे,आवय तभे बहार ।

दुख पाछू सुख हे लगे,लहुटे पहुटे बार ।।

लहुटे पहुटे बार चलत नर ,लाख जतन कर ।

सुख के चक्कर,दुखद गली धर,कतको मर मर।

छोड़ गाँव घर,कहूँ मेर टर,नइ छोंड़य डर ।

बेरा हे खर,बोलत झरझर, पाना पतझर ।।


शोभामोहन श्रीवास्तव

अमलेश्वर रायपुर

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