अमृतध्वनि छंद-गुमान प्रसाद साहू
।।बाँटा।।
भाई भाई ले लड़य, बाँटे खेती खार।
बाँट डरिन माँ बाप ला, टूटत हे घर बार।।
टूटत हे घर, बार सबो हर, बाँटा होगे,
अलग अलग कर, दाई-ददा ल, दुख ला भोगे।
संगे राखव, बँटवारा के, झन खन खाई,
अलग करव झन, दाई-ददा ल, कोनो भाई।।1
।।इरखा छोड़व।।
झन कर कोनो बर कपट, भेद सबो तँय छोड़।
सब ला लेके साथ चल, मन ले मन ला जोड़।।
मन ले मन ला, जोड़ तभे तँय, आघू बढ़बे,
साथ कमाबे, हाथ बटाबे, रसता गढ़बे।
जस बगराले, नाम कमाले, आज परन कर,
दीन दुखी बर, दया मया कर, इरखा झन कर।।2
छन्दसाधक:- गुमान प्रसाद साहू, ग्राम- समोदा (महानदी),जिला- रायपुर, छत्तीसगढ़
बहुत ही भाव प्रवण अमृत ध्वनि छंद। बधाई🌷
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना मितान बधाई हो
ReplyDeleteआदरणीय गुरु जी आपला सादर अभिवादन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सर जी 💐💐👌🙏
ReplyDeleteसुंदर सर जी
ReplyDeleteसुंदर सर जी
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