अमृत ध्वनि छंद- शशि साहू
1
बंदव दाई सरसती,तोला बारंम्बार ।
मोर कलम मा धार दे,छंद लिखँव मँय सार।।
छंद लिखँव मँय,सार भवानी, पढ़य जमाना।
टिपटिप ले माँ,भरे रहय वो,छंद खजाना।।
किरपा कर दे,अवगुन हर ले,हे महमाई ।
हाथ जोर के,रोजे तोला,बंदव दाई ।।
2
आज सुराजी हे परब,धरव तिरंगा हाथ।
जउन मरिन हे देश बर,आज नवाबो माथ।
आज नवाबो,माथ सबो ला, सुरता करबो।
जतने खातिर,आजादी ला, जरबो मरबो।।
किरिया खाथन,हमू लगाबो,अपनो बाजी।
वंदे भारत,माता गाबो,आज सुराजी।
शशि साहू, कोरबा (छग)
बहुत बढ़िया दीदी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया दीदी 👌💐💐💐🙏
ReplyDeleteसुंदर दीदी
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