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Tuesday, September 29, 2020

जनकवि कोदूराम "दलित" जी


 श्रद्धेय जनकवि कोदूराम दलित जी ल उॅंखर पुण्यतिथि के अवसर म सादर नमन


जनकवि कोदूराम "दलित" जी

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                     "सरसी छंद"-


धन धन हे टिकरी अर्जुन्दा,दुरुग जिला के ग्राम।

पावन भुँइया मा जनमे हे,जनकवि कोदूराम।


पाँच मार्च उन्नीस् सौ दस के,होइस जब अवतार।

खुशी बगरगे गाँव गली मा,कुलकै घर परिवार।


रामभरोसा ददा ओखरे,आय कृषक मजदूर।

बहुत गरीबी रहै तभो ले,ख्याल करै भरपूर।


इसकुल जावै अर्जुन्दा के,लादे बस्ता पीठ।

बारहखड़ी पहाड़ा गिनती,सुनके लागय मीठ।


बालक पन ले पढ़े लिखे मा,खूब रहै हुँशियार।

तेखर सेती अपन गुरू के,पावय गजब दुलार।


पढ़ लिख के बनगे अध्यापक,बाँटय उज्जर ज्ञान।

समे पाय साहित सिरजन कर,बनगे 'दलित'महान।


तिथि अठ्ठाइस माह सितम्बर,सन सड़सठ के साल।

जन जन ला अलखावत चल दिस,एक सत्य हे काल।


छत्तीसगढ़ी छंद लिखइया,गिने चुने कवि होय।

तुँहर जाय ले छत्तीसगढ़ी,तरुवा धर के रोय।


अद्भुत रचना तुँहर हवै गा,पावन पबरित भाव।

जन जन ला अहवान करत हे,अब सुराज घर लाव।


समतावादी दृष्टि रही तब,उन्नत होही सोच।

छोड़व इरखा कुण्ठा मन ला,आय पाँव के मोच।


विकसित राष्ट्र बनाये खातिर,मिलजुल हो परयास।

झन सोवय कोनो लाँघन गा,चेत लगावन खास।


दूरदरश मानवतावादी,जिन्खर कृति के मूल।

उँखर चरन मा अरपित हावय,श्रद्धा के दू फूल।


                   -सुखदेव सिंह"अहिलेश्वर"

                           गोरखपुर,कवर्धा

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