अमृत ध्वनि छंद- महेंद्र कुमार बघेल
लंबोदर:-
लंबोदर गणराज जी ,सुनलव हमर पुकार।
खतरनाक हे वायरस ,येला पहली टार।
येला पहली, टार धरा ले, हावय विनती।
केस पाज़िटिव,रोज बढ़त हे, लाखो गिनती।
झपटत हावॅंय, भ्रष्ट्राचारी, बोजत दोंदर।
बेवस्था ला, अब सुधार दे, हे लम्बोदर।।
खेल दिवस:-
हाकी के अब दुर्दशा, होवत हे दिन रात।
युवा देश के सोच मा,ये क्रिकेट के घात।
ये क्रिकेट के, घात हवय अब, नॅंगते भारी।
पइसा खातिर,बोर्ड मारथे, नित हुसियारी।
खेल दिवस मा ,का कहिबो कुछ, नइहे बाकी।
सुरता करके, ध्यानचंद ला,रोबो हाकी।
पीतर पाख:-
जीयत नइ जानिस ददा, दू टप्पा के बोल।
पीतर पाख मनात हे,पूत सुपेती खोल।
पूत सुपेती, खोल आज गा, देवत पानी।
अरसा भजिया,बरा सपेटत, आनी बानी।
जर बुखार मा, तन कड़ियाइस, पसिया पीयत।
खाय पिये बर, ददा ह तरसिस, दुख मा जीयत।।
महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव राजनांदगांव
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Sunday, September 6, 2020
अमृत ध्वनि छंद- महेंद्र कुमार बघेल
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बहुत सुन्दर सर जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सर जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सर जी
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