अमृतध्वनि छंद- विजेन्द्र वर्मा
कोरोना
कोरोना के आय ले,गाँव गली सब साँय।
कोनो कखरो नइ सुने,घर मा खुसरे जाय।
घर मा खुसरे,जाय सबो झन,मुँह ला बाँधे।
हाड़ माँस हा,थकगे अब तो,काला राँधे।
मनखे मन के,जिनगी अब तो,होगे रोना।
आय कहाँ ले,भग रे बइरी,तँय कोरोना।।
धमका
धमका मारत हे इहाँ,सूरज उगलत आग।
गरम हवा अइसे चलत,जाय कहूँ अब भाग।
जाय कहूँ अब,भाग इहाँ ले,छाँव पेड़ के।
काया लागय,सुग्घर शीतल,पार मेड़ के।
नइते मरना,होही अब तो,काया चमका।
पेड़ तरी मा,बइठव जा के,भागय धमका।।
मँय
मैं ला सब त्याग दन,काबर करी गुमान।
मँय मँय के रट ले इहाँ,खोथे सब जी मान।
खोथे सब जी,मान खुदे के,शीश नवाथे।
अंत समे मा,बड़ पछताथे,प्रान गँवाथे।
मन के भीतर,दीप जला ले,भाग जही मैं।
धन दौलत जी,नहीं काम के,कहँव सही मैं।।
विजेन्द्र वर्मा
नगरगाँव(धरसीवाँ)
जिला-रायपुर
गज़ब सुग्घर सर
ReplyDeleteशानदार सर जी 💐💐💐बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अमृतध्वनि छंद बहुत बहुत बधाई
ReplyDelete