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Sunday, September 27, 2020

अमृत ध्वनि छंद-डॉ तुलेश्वरी धुरन्धर

 अमृत ध्वनि छंद-डॉ तुलेश्वरी धुरन्धर

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1,विषय- रक्तदान

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रक्त दान आवय अबड़, जग मा जस के काम।

जीव बाँच जाही घलो, होही जग में नाम।।

होही जग में, नाम बने जी,दुवा ह मिलही।

रक्तदान ला, पाके सुघ्घर ,जिनगी ख़िलही।।

सहयोगी बन ,दया मया ला,सुघ्घर धरबो।

पीरा हरबो, रक्तदान ला, सुघ्घर करबो।।


2,विषय-गेड़ी तिहार

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गेड़ी के त्यौहार मा, जम्मो झन जुरियाय।

कतको कन रोटी बने, गुरहा चीला भाय।।

गुरहा चीला, भाय अइरसा, रोटी खाये।

खेलय कूदय,नाचय गावय,खुशी मनाये।।

अब तो लगही,मेला ठेला,खोलव बेड़ी।

मजा उड़ावव,चढ़के जावव, सुघ्घर गेड़ी।।

रचनाकार- डॉ तुलेश्वरी धुरंधर

अर्जुनी बलौदाबाजार

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