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Friday, September 4, 2020

अमृतध्वनि छंद- विजेन्द्र वर्मा

 अमृतध्वनि छंद- विजेन्द्र वर्मा

*बादर*
करिया बादर आय के,पानी बड़ बरसाय।
खेत खार छलकत हवय,नदिया पूरा आय।
नदिया पूरा,आय बिकट जी,सरपट भागय।
मनखे झूमय,जीव जंतु के,भागे जागय।
चारो कोती,हरियर होगे,खेती परिया।
उमड़ घुमड़ के,बरसत हावय,बादर करिया।।

*बरखा रानी*
बरखा रानी आय हे,मस्ती सब मा छात।
जीव जंतु सब झूम के,तान सुनावत जात।
तान सुनावत,जात हवय सब,शोर मचावय।
मोर नाच के,संग कोइली,गीत सुनावय।
खेत खार हा, होगे अब तो,पानी पानी।
बरसत जब ले,उमड़ घुमड़ के,बरखा रानी।।

*मँहगाई*
मँहगाई के मार हा,जिनगी बर जंजाल।
मनखे बिन मारे मरय,आय हवय जी काल।
आय हवय जी, काल इहाँ अब,मनखे मरही।
बाढ़त हावय,लूट झूठ अब,कइसे करही।
जागव भइया,बइरी के झन,करव बड़ाई।
सुरसा बन के,काबर आये,ए मँहगाई।।

*नवा बिहान*
आही नवा बिहान जी,फूँक फूँक रख पाँव।
करव मेहनत पोठ जी,मिलही सुग्घर छाँव।
मिलही सुग्घर,छाँव मया के,रद्दा गढ़बे।
गाँठ बाँध ले,बात मान तँय,आगू बढ़बे।
जिनगी अपने,चमका लेबे,दुख हा जाही।
मजबूरी के, दिन भग जाही, खुशियाँ आही।।

*सोना*
सोना तप के आग मा,बनथे गहना रूप।
अइसन साहस सब करिन,छाँव मिलय ते धूप।
छाँव मिलय ते,धूप इहाँ जी,महिनत करबे।
बाधा आही,कतको बड़का,धीरज रखबे।
झन घबराबे,दुख मा अब तो,काबर रोना।
निखरे सह के,कष्ट उठा के,बन के सोना।।

*बलिदान*
घाटी अब गलवान मा,भारत दिस बलिदान।
चीनी सैनिक मन इहाँ,खोइस अपने मान।
खोइस अपने,मान शरम ले,पानी पानी।
मुरहा जाने,करय बिकट जी,औ मनमानी।
गीदड़ भपकी,देवय हम ला,सानय माटी।
रोज रोज के,करय तमाशा,हमरे घाटी।।

*पानी*
पानी हर वरदान ये,सबके प्यास बुझाय।
देख मगन अब सब इहाँ,जीव जंतु सुख पाय।
जीव जंतु सुख, पाय बिकट जी,पानी बरसय।
बादर गरजे, बिजुरी चमके,धरती हरषय।
गोल गोल जी,झर झर पानी,नइये सानी।
करय किसानी,खिलय जवानी,गिरथे पानी।।

विजेन्द्र वर्मा
नगरगाँव (धरसीवाँ)
जिला-रायपुर

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