*अमृत ध्वनि छंद* - अमित टंडन अनभिज्ञ
1.
गीता वेद पुरान हा, आय ज्ञान के खान
ज्ञानी मन सब मानथे, बात तहूँ हा मान।
बात तहूँ हा, मान समझ ले, बढ़िया एला।
करथे भैया, दूर समस्या, झूठ झमेला।
सत्य ज्ञान हा, होय कभू ना, जग मा रीता।
असत ज्ञान ला, छोड़ कहत हे, भगवत गीता।
2.
नारी के जज्बात ला, समझव सब झन यार।
नारी बिन नइ ढो सकय, पुरुष अकेला भार।
पुरुष अकेला, भार बता तो, कइसे ढोही।
बिन नारी के, जिनगी हा जी, बिरथा होही।
सोचय सब बर, जतन करै ओ, पारी-पारी।
करै लगन से, काम उही हा, आवय नारी।
3.
महतारी हा आय जी, पूज्य देव भगवान।
पूजव सब सम्मान से, समझव घर के शान।
समझव घर के, शान तभे सब, अच्छा होही।
महतारी बिन, जिनगी भर सब, अब्बड़ रोहीं।
ममता देवय, सबला ओ हा, पारी - पारी।
सबले बड़का, होथे जग मा, ए महतारी।
4.
भाई चारा बाँट लव, मिलके करलौ काम।
जिनगी के रस्ता गढ़ौ, सुमिरौ प्रभु के नाम।
सुमिरौ प्रभु के, नाम जगत मा, सार हवै जी।
पाटव खाई, दुख के अड़बड़, भार हवै जी।
जनम धरे हव, करम करे बर, पाई-पाई।
जागव अब सब, नाम कमालव, जग मा भाई।
-अमित टंडन अनभिज्ञ
बरबसपुर, कवर्धा
छंद साधक कक्षा - 10
बड़ सुग्घर भाव प्रवण, अमृत ध्वनि छंद,बधाई हो अमित भाई।।
ReplyDeleteबहुत आभार सर 🙏
Deleteबहुत सुग्घर रचना सर जी बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय 👏
Deleteबहुत सुन्दर भाई जी
ReplyDeleteसाधुवाद निषाद सर जी
Deleteबहुत ही मधुर वानी अमित
ReplyDeleteGood luck
बहुत धन्यवाद सर
Deleteबहुत सुग्घर रचना सिरजन हे भाई,हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसाधुवाद सर
DeleteBahut badiya hai amit bhai
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteलाजवाब छंद लिखे हव, बहुत बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद चंद्राकर सर 🙏 🙏
Deleteबहुत बढ़िया मित्र खूब नाम कमाओ आनंदमयी छंद है।। बधाई एवं शुभकामनाये
ReplyDeleteसाभार 👏👏👏👏
Deleteबहुत बढ़िया मित्र खूब नाम कमाओ आनंदमयी छंद है।। बधाई एवं शुभकामनाये
ReplyDeleteबहुत सुंदर सादर बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद सर 🙏 🙏 💐
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteस्नेह पूर्वक धन्यवाद सर
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