अमृतध्वनि छन्द-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र
शीर्षक-मेहनत के फल
जीना हे जब शान से,जांगर थोरिक तोड़।
आलस ला सब छोड़ के,नता करम ले जोड़।।
नता करम ले,जोड़ गोठ ये,ज्ञानी कहिगे।
करम करे जे,धरम मान वो,जग मा लहिगे।
मुसकुल होवय,मेहनत कतरो,कस ले सीना।।
शान मान से,ये दुनिया मा,जब हे जीना।।
मेहनत कर लव शान से,आलस हे बेकार।
मेहनत के पतवार ले,होवय बेड़ा पार।।
होवय बेड़ा,पार करे जे,रोज काम हे।
घाम जाड़ अउ,सावन मा जे,घसे चाम हे।।
सिरजन के ये,हवन कुंड मन,स्वाह देय दव।
नाम दाम ला,पाना हावय,मेहनत कर लव।।
पावय जीवन नेक वो,रोज करे जे काम।
खटिया टोरे का मिले,झन कर बड़ आराम।।
झन कर जी आराम पड़े झन, भारी रोना।।
तन मन बर हे,काल असन ये,भारी सोना।।
काम धाम जे,रोज करे वो,सुख मा गावय।।
तन मन चंगा,सुग्घर मंगल,जीवन पावय।।
छंदकार-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र
हल्दी-गुंडरदेही,जिला-बालोद
मोबाइल न.8225912350
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Tuesday, September 1, 2020
अमृत ध्वनि छन्द-नेमेन्द्र कुमार गजेन्द्र
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सुग्घर भाई
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteसुग्घर छंदबद्ध सृजन।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसुग्घर छंदबद्ध सृजन।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteमेहनत के महत्व ल उजागर करत मनखे ल जाँगर तोर मेहनत करे बर प्रेरणा देवत आपके अमृत ध्वनि छन्द बहुत सुग्घर हे।
ReplyDeleteबढ़िया विषय चयन अउ शब्द संयोजन बर आपला बहुत बहुत बधाई हो। आपके कलम नित नवाँ ऊँचाई प्राप्त करता। कलम के धार सदैव अन्याय अउ अतयाचार ऊपर तलवार सहीं चलत रहय।
💐मथुरा प्रसाद वर्मा
बहुत सुन्दर सर जी
ReplyDeleteमेहनत करलव
ReplyDelete८ मात्रा होना रिहिस ९ हावय सुधार करव धियान देवव
जय श्री राम
बहुत बढ़िया
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