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Wednesday, January 15, 2020

सार छंद- जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

 सार छंद- जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

अँखमुंदा दौड़त मोटर गाड़ी

हवा संग मा बात करत हे,देखव मोटर गाड़ी।
देखावा अउ जल्दी बाजी,फोड़त हावय माड़ी।

जाने जम्मो झन जोखिम हे,तभो करे अनदेखा।
अपने हाथ बिगाड़त फिरथे,अपन भाग के लेखा।
उहू आदमी लउहा लेवय,जे टारे नइ काड़ी-।
हवा संग मा बात करत हे,देखव मोटर गाड़ी।

मनखे तनखे मोटर गाड़ी,दिनदिन भारी बाढ़े।
साव चेत हो चलना पड़ही,रथे गाय गरु ठाढ़े।
हाल दिखे बेहाल सड़क के,का जंगल अउ झाड़ी।
हवा संग मा बात करत हे,देखव मोटर गाड़ी।

खुदे झपाये अउ दूसर के,हाड़ा गोड़ा टोड़े।
बात बरजना घलो न माने,नशापान नइ छोड़े।
उहू कुदावै मोटर गाड़ी,जउने हवै अनाड़ी--।
हवा संग मा बात करत हे,देखव मोटर गाड़ी।

नवा नवा गाड़ी आगे हे,आगे नवा चलैया।
यमराजा लेआघू निकले,देख सड़क हा भैया।
दुर्घटना ला देख जुड़ाथे,हाथ पाँव अउ नाड़ी।
हवा संग मा बात करत हे,देखव मोटर गाड़ी।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

5 comments:

  1. वाह वाह गुरुदेव बहुत सुग्घर , आज के सच्चाई के सटीक चित्रण करे हव। लाजवाब सृजन बर बधाई

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  2. गजब सुग्घर रचना भाईजी

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  3. वाहहहह!बड़ सुग्घर

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  4. सामयिक विषय पर बढ़िया सृजन बधाई

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