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Thursday, January 9, 2020

छन्न पकैया छंद-सूर्यकांत गुप्ता'कांत'

छन्न पकैया छंद-सूर्यकांत गुप्ता'कांत'
छन्न   पकैया   छन्न  पकैया,  जुन्ना  साल  भगा गै।
ऊँच नीच के डबरा डिलवा का बिलकुल समटागै।।१।।


छन्न   पकैया   छन्न   पकैया  रोजगार  बिन  घूमँय।
एक   निर्जला   दू  फरहारी,  कइसे  नाचँय  झूमँय।।२।।


छन्न  पकैया  छन्न पकैया  दल दल  सब जुरियागै।
लकठियात  सच्चाई  देखत,  जी  उंखर  बगियागै।।३।।


छन्न   पकैया  छन्न  पकैया,  खुरसी  के  अनुरागी।
उकसावत  हें  भड़कावत  हें,  लगवावत हें आगी।।४।।


छन्न  पकैया  छन्न  पकैया  खुले आम सब बिकथे।
धन के लालच म ईमान हा, घलो कहाँ अब टिकथे।।५।।


छन्न  पकैया  छन्न  पकैया,  माचिस  धूम धड़ाका।
खाइन पीइन मातिन नाचिन फोरिन खूब फटाका।।६।।


छन्न   पकइया   छन्न   पकइया,   टूरी   टूरा   संगे।
मेछरात   मेटँय   मरजादा,   भइगे   हर   हर  गंगे।।७।।


छन्न  पकैया  छन्न पकैया,  संस्कृति  के  बरबादी।
पच्छिम के  रंगत मा रँग के,  होगैं   एकर   आदी।।८।।


छन्न पकैया छन्न पकैया,  पँरुआ  चैत  अँजोरी।
नवा साल शुरुआत कराथे,   दुर्गा   मैया   मोरी।।९।।


छन्न  पकैया  छन्न  पकैया,  सुरता एकर राखन।
संवत्सर के नवा साल हम, महिना चैत मनाथन।।१०।।


छन्न पकैया छन्न पकैया, अमन  चैन जग छावै।
'कांत' नवा  ए साल  सबो के पीरा हर ले जावै।।११।।


सूर्यकान्त गुप्ता, 'कांत'
सिंधिया नगर दुर्ग(छ.ग.)
7974466865

3 comments:

  1. शानदार रचना भैयाजी

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  2. बहुते सुग्घर गुरुदेव

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  3. बहुत सुंदर आदरणीय...🙏🏼

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