करजा भारी नौ महिना के, कोंख रखे माँ पाले।
छाती ले के दूध पिलाये, छइँहा अँचरा डाले।।
सरग बरोबर गोदी लागे, मीठ सुनाये लोरी।
बोलच मोला हीरा बेटा, राखे आँख निहोरी।।
काँटा खूँटी जाँगर पेरे, मुँह मा डारे चारा।
कोरा माटी ये जिनगी ला, तँही बनाये गारा।।
माँ के महिमा बड़ा निराला, सुन रे मन तँय गा ले।
करजा भारी नौ महिना के, कोंख रखे माँ पाले।।1
तोर बिना ये जिनगी सुन्ना, सुन्ना हे जग सारा।
ममता के तँय दिया बरोबर, करथस जग उजियारा।।
बुरा भला के राह बताये, ज्ञान दिये संस्कारी।
नाम कमाबे जग मा कहिके, भाव दिये ब्यवहारी।।
देथे आशीष सुखी जीवन के, सोये भाग जगा ले।
करजा भारी नौ महिना के, कोंख रखे माँ पाले।।2
सबो रूप मा खुद ला साजे, सास बहू माँ नारी।
पाप बढ़े जब जब दुनियाँ मा, काल रूप अवतारी।।
पाठ पढ़ाये मानवता के, सीख दिये परिवारी।
मोर जनम ये परही थोरे, कई जनम बलिहारी।।
माँ हे पावन गंगा नदिया, डुबकी मार नहा ले।
करजा भारी नौ महिना के, कोंख रखे माँ पाले।।3
जनम जनम ला बेटा बनके, करजा दूध चुकाहूँ।
माया मोह जगत मिल जाही, माता कहाँ ल पाहूँ।।
सरवन जइसे बेटा बनके, सेवा जतन ल करहूँ।
साथ बुढ़ापा थेगा बनके, राह सरग बर धरहूँ।।
चरण कमल माँ तीरथ चारो, घट मा अपन बसा ले।
करजा भारी नौ महिना के, कोंख रखे माँ पाले।।4
छंदकार- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध" (बिलासपुर)
अद्भुत सृजन गुरुदेव सादर प्रणाम ।।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद लहरे जी।
Deleteगजब सुग्घर रचना गुरुदेव
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ज्ञानु जी।
Deleteगजब सुग्घर रचना गुरुदेव
ReplyDeleteमाँ के महिमा के बखान करत आपके ये छंद रचना भावविभोर करत हे इंजीनियर साहब।रचना बर सादर बधाई
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