वसन्ती वर्मा - सार छंद
*पोता के हाट*
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पोता के गुरुवारी हटरी,मोला बढ़िया लगथे।
आनी बानी भाजी पाला,खई खजेना मिलथे।1।
केंवटीन हा बेचत रइथे,मुर्रा चना ग भजिया।
भाँटा मुरई धर के आथे,बेंचे बर ग कोंचिया।2।
सूपा टुकनी बहरी आये, तुरकिन बेचय चूरी।
पसरा बगरे मनिहारी के,खड़े हवैं सब टूरी।3।
होटल मालखरौदा वाला,आये हे हलवाई।
बेचत हवै जलेबी लड्डू,पेंड़ा रसेमलाई।4।
काँसा पीतल बरतन वाला,बेचय लोटा थारी।
दाई बहिनी मोल करत हें,भीड़ लगे हे भारी।5।
चाट संग मा गुपचुप ठेला,खावँय लइका कसके।
सार छंद मा पढ़य वसन्ती,हाट भरे हे ठसके।6।
वसन्ती वर्मा
नेहरू नगर, बिलासपुर
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*पोता के हाट*
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पोता के गुरुवारी हटरी,मोला बढ़िया लगथे।
आनी बानी भाजी पाला,खई खजेना मिलथे।1।
केंवटीन हा बेचत रइथे,मुर्रा चना ग भजिया।
भाँटा मुरई धर के आथे,बेंचे बर ग कोंचिया।2।
सूपा टुकनी बहरी आये, तुरकिन बेचय चूरी।
पसरा बगरे मनिहारी के,खड़े हवैं सब टूरी।3।
होटल मालखरौदा वाला,आये हे हलवाई।
बेचत हवै जलेबी लड्डू,पेंड़ा रसेमलाई।4।
काँसा पीतल बरतन वाला,बेचय लोटा थारी।
दाई बहिनी मोल करत हें,भीड़ लगे हे भारी।5।
चाट संग मा गुपचुप ठेला,खावँय लइका कसके।
सार छंद मा पढ़य वसन्ती,हाट भरे हे ठसके।6।
वसन्ती वर्मा
नेहरू नगर, बिलासपुर
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बहुत सुन्दर दीदी जी। बधाई हो
ReplyDeleteगजब सुग्घर दीदी
ReplyDeleteगजब सुग्घर दीदी
ReplyDeleteअति सुन्दर दीदी जी बधाई हो।
ReplyDeleteबहुत सुंदर छंद, बहुत बधाई दीदी
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