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Thursday, January 30, 2020

सार छंद गीत (होली)-द्वारिका प्रसाद लहरे

सार छंद गीत (होली)-द्वारिका प्रसाद लहरे

रंग मया के बरसावव जी,बोलव गुरतुर बोली।
बैर भाव ला सबो भुलाके,बने मनालव होली।।

दया मया हा बने रहय जी,राखव मया चिन्हारी ।
मिलके गावव फाग मया के,रंग भरव पिचकारी।।

रंग सबो बर लाल गुलाबी,धरके घर घर जावव।
बैरी मन बन जावव हितवा,दया मया बगरावव।।

उड़य गुलाली गाँव गली मा,कर लव हँसी ठिठोली.....
बैर भाव ला सबो भुलाके,बने मनालव होली.....ll

धूम मचावव नंगारा के,सबझन नाचव गावव।
मिलके छोटे बड़े सबो जी,फगुवा गीत सुनावव।।

चिक्कन चाँदन झन राहँय जी,रंगव  झारा झारा।
तिलक लगाये सब ला संगी,जावव आरा पारा।।

जुर मिल के सब संगे खेलव,अपन बनावव टोली....
भैर भाव ला सबो भुलाके,बने मनालव होली.....ll

एक बझर मा आय हवय जी,रंग मया के डारव।
आपस मा सब भाई भाई,राग द्वेष ला टारव।।

 दया मया ला बाटे बर जी ,देखव होली आये।
गला मिलव आपस मा संगी,खुशी आज हे छाये।।

दया-मया ला बाँटव संगी,भर भर के गा झोली....
बैर भाव ला सबो भुलाके,बने मनालव होली.....ll

छंदकार-द्वारिका प्रसाद लहरे 
बायपास रोड़ कवर्धा (छत्तीसगढ़)

3 comments:

  1. छंद खजाना म जघा दे बर सादर आभार गुरुदेव सादर प्रणाम ।।

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  2. वाहहह!बड़ सुग्घर सीख देवत छंद रचना लहरे जी बधाई हे

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  3. बहुत सुग्घर रचना लहरे जी बधाई

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