मोहन मयारू: *छन्न पकैया छंद : -*
छन्न पकैया छन्न पकैया , जुरमिल पेड़ लगाबो ।
परयावरन ल हम सब भइया , आवव सबो बचाबो ।
छन्न पकैया छन्न पकैया , परदूसन हे भारी ।
पेड़ लगावत कोन हवय जी , देखव हे लाचारी ।
छन्न पकैया छन्न पकैया , उजड़त हे रुखराई ।
गाडी घोड़ा रोज चलत हे , बउरे जी सब भाई ।
छन्न पकैया छन्न पकैया , आज सबो हे सोये ।
बाढ़े देखय परदूसन ला , मुड़ धर सब गा रोये ।
छन्न पकैया छन्न पकैया , पानी पेड़ ग लाथे ।
हरियर हरियर खेत खार हा , सबके मनला भाथे ।
रचनाकार - मयारू मोहन कुमार निषाद
गाँव - लमती , भाटापारा ,
जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)
छन्न पकैया छन्न पकैया , जुरमिल पेड़ लगाबो ।
परयावरन ल हम सब भइया , आवव सबो बचाबो ।
छन्न पकैया छन्न पकैया , परदूसन हे भारी ।
पेड़ लगावत कोन हवय जी , देखव हे लाचारी ।
छन्न पकैया छन्न पकैया , उजड़त हे रुखराई ।
गाडी घोड़ा रोज चलत हे , बउरे जी सब भाई ।
छन्न पकैया छन्न पकैया , आज सबो हे सोये ।
बाढ़े देखय परदूसन ला , मुड़ धर सब गा रोये ।
छन्न पकैया छन्न पकैया , पानी पेड़ ग लाथे ।
हरियर हरियर खेत खार हा , सबके मनला भाथे ।
रचनाकार - मयारू मोहन कुमार निषाद
गाँव - लमती , भाटापारा ,
जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)
बहुत बढ़िया भाई जी बधाई हो
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाई जी बधाई हो
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाई जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteबधाई हो
महेन्द्र देवांगन माटी
बहुत-बहुत बधाई मयारू भाई
ReplyDeleteसुग्घर रचना भाईजी
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