सार छंद- ज्ञानुदास मानिकपुरी
जोर चलय नइ कखरो संगी,अइसन मया निराला।
दाना पानी छीने कखरो,कखरो बने निवाला।
1-खाय पिये के चेत रहय नइ,काम घलो मनढेरा
छिन छिन सुरता आय मयारू,नइये कोनो बेरा
कखरो बर हे मीठ मया हा,अउ कखरो बर हाला
जोर चलय नइ-----
2-कोनो ला मिल जथे मया जब,जिनगी लगे सुहावन
मिलय नहीं जब कभू मया हा,आगी बरसे सावन
कभू फूल हे कभू मया हा,बनगे बरछी भाला
जोर चलय नइ ---
3-तन मा मन मा रोम रोम मा,दउँड़य ये नस नस मा
लगे मया के रोग कहू ते,राहय नइ कुछु बस मा
सुरता रहिथे नाम मयारू,जपे रातदिन माला
जोर चलय नइ---
छंदकार-ज्ञानुदास मानिकपुरी
चंदेनी(कवर्धा)
जिला-कबीरधाम(छ्त्तीसगढ़)
जोर चलय नइ कखरो संगी,अइसन मया निराला।
दाना पानी छीने कखरो,कखरो बने निवाला।
1-खाय पिये के चेत रहय नइ,काम घलो मनढेरा
छिन छिन सुरता आय मयारू,नइये कोनो बेरा
कखरो बर हे मीठ मया हा,अउ कखरो बर हाला
जोर चलय नइ-----
2-कोनो ला मिल जथे मया जब,जिनगी लगे सुहावन
मिलय नहीं जब कभू मया हा,आगी बरसे सावन
कभू फूल हे कभू मया हा,बनगे बरछी भाला
जोर चलय नइ ---
3-तन मा मन मा रोम रोम मा,दउँड़य ये नस नस मा
लगे मया के रोग कहू ते,राहय नइ कुछु बस मा
सुरता रहिथे नाम मयारू,जपे रातदिन माला
जोर चलय नइ---
छंदकार-ज्ञानुदास मानिकपुरी
चंदेनी(कवर्धा)
जिला-कबीरधाम(छ्त्तीसगढ़)
बहुत सुंदर रचना गुरुदेव, बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteसुंदर रचना की हार्दिक बधाई ज्ञानू जी।
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी बहुत बहुत
Deleteबहुतेच सुग्घर सृजन।हार्दिक बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद गुरुदेव बहुत बहुत
Deleteबहुत सुग्घर गुरुदेव जी
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी बहुत बहुत
Deleteधन्यवाद सर जी बहुत बहुत
Deleteबहुत सुघ्घर रचना श्रीमान,बधाई हो
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी बहुत बहुत
Deleteसुग्घर रचना बधाई ज्ञानू जी
ReplyDeleteधन्यवाद गुरुदेव बहुत बहुत
ReplyDeleteधन्यवाद गुरुदेव बहुत बहुत
ReplyDeleteअइसन मया निराला हे बहुत शानदार गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteअति सुंदर।
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी बहुत बहुत
Deleteबड़ सुग्घर
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