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Wednesday, January 22, 2020

सार छंद- ज्ञानुदास मानिकपुरी

सार छंद- ज्ञानुदास मानिकपुरी


जोर चलय नइ कखरो संगी,अइसन मया निराला।
दाना पानी छीने कखरो,कखरो बने निवाला।

1-खाय पिये के चेत रहय नइ,काम घलो मनढेरा
    छिन छिन सुरता आय मयारू,नइये कोनो बेरा
 कखरो बर हे मीठ मया हा,अउ कखरो बर हाला
जोर चलय नइ-----

2-कोनो ला मिल जथे मया जब,जिनगी लगे सुहावन
   मिलय नहीं जब कभू मया हा,आगी बरसे सावन
कभू फूल हे कभू मया हा,बनगे बरछी भाला
जोर चलय नइ ---

3-तन मा मन मा रोम रोम मा,दउँड़य ये नस नस मा
लगे मया के रोग कहू ते,राहय नइ कुछु बस मा
सुरता रहिथे नाम मयारू,जपे रातदिन माला
जोर चलय नइ---

छंदकार-ज्ञानुदास मानिकपुरी
चंदेनी(कवर्धा)
जिला-कबीरधाम(छ्त्तीसगढ़)

20 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना गुरुदेव, बहुत बधाई

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  2. सुंदर रचना की हार्दिक बधाई ज्ञानू जी।

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    1. धन्यवाद सर जी बहुत बहुत

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  3. बहुतेच सुग्घर सृजन।हार्दिक बधाई

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    1. धन्यवाद गुरुदेव बहुत बहुत

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  4. बहुत सुग्घर गुरुदेव जी

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    1. धन्यवाद सर जी बहुत बहुत

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    2. धन्यवाद सर जी बहुत बहुत

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  5. बहुत सुघ्घर रचना श्रीमान,बधाई हो

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    1. धन्यवाद सर जी बहुत बहुत

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  6. सुग्घर रचना बधाई ज्ञानू जी

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  7. धन्यवाद गुरुदेव बहुत बहुत

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  8. धन्यवाद गुरुदेव बहुत बहुत

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  9. अइसन मया निराला हे बहुत शानदार गुरुदेव

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  10. Replies
    1. धन्यवाद सर जी बहुत बहुत

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