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Thursday, January 2, 2020

छन्न पकैया छंद- मनीराम साहू 'मितान

छन्न पकैया छंद- मनीराम साहू 'मितान'

छन्न पकैया छन्न पकैया, झिल्ली पन्नी छोड़व।
अपने घात करे बर भाई,गड्ढा ला झन कोड़व।

छन्न पकैया छन्न पकैया, घातक हे बड़ पन्नी।
लाख करय नुसकानी सबके, जेकर दाम चवन्नी।

छन्न पकैया छन्न पकैया,  परदूसन धर लाथे।
फूल जथें गा खाके एला, गाय गरू मर जाथें।

छन्न पकैया छन्न पकैया, भुइयाँ बंजर करथे।
फरी पवन ला बिखहर करथे, आगी मा जब बरथे।

छन्न पकैया छन्न पकैया,  काहव एला ओला।
नइ तो चिटको मान घटावय, राखव कपड़ा झोला।

छन्न पकैया छन्न पकैया, पोंसव झन बीमारी ।
गुनव देश अउ जग जन हित बर,जुरमिल सब सँगवारी ।

छन्न पकैया छन्न पकैया,  उथली मा झन तउँरव।
होय गहिर मत सब झन भइया, कपड़ा झोला बउरव।

 छंदकार- मनीराम साहू 'मितान'
गाँव- कचलोन (सिमगा)
जिला- बलौदाबाजार-भाटापारा
छत्तीसगढ़ 493101

2 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद वर्मा जी छंद खजाना मा ठउर दे बर

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  2. बहुत सुंदर रचना भाई
    छन्न पकैया छन्न पकैया, उपदेसक हे रचना।
    बात अमल म लान के हमला, बीमारी से बचना।।
    छन्न पकैया छन्न पकैया, देवत हँवव बधाई।
    ए मितान सबके आवै गा, हमर मयारुक भाई।।
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