सार छंद--चोवा राम 'बादल'
हिरदे भीतर परगे हावय,
देखव संगी छाला।
हाय गरीबी बैरी होगे, आँखी
छागे जाला।।
जाँगर टोर कमाथन कतको,
मिलय नहीं जी पसिया।
मार डरत हे मँहगाई हा, घेंच
दँता के हसिया ।।
नेता मन सब घूम घूम के,
करते रहिथें वादा।
झोरत हें उन आनीं बानीं,
छोंड़ हमर बर खादा ।।
बनत योजना सरकारी हे, रंग
रंग के भारी।
धन खुसरत हे बड़का मन
घर ,सुन्ना हमर दुआरी ।।
काकर आगू रोवन
गावन ,दुःख सुनावन काला।
भैरा हे सरकार निचट
गा ,बइठे पहिरे माला।।
शिक्षा के हथियार उबा
के,हम तो कइसे लड़बो।
सुन के फीस छाय बेहोशी,
काला बेंचे भरबो ।।
सेठ सकेले भरे खजाना,
चपके भर्री धनहा ।
पथरा पटकत हमरे
छाती,साहत हवन किसनहा।।
मिलजुल के सब लड़बो
भाई, तभे पार ला पाबो।
हक ला अपन झटकबो जब जी तब दू कौंरा खाबो।।
छंदकार--चोवा राम 'बादल'
हथबन्द,बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़
हिरदे भीतर परगे हावय,
देखव संगी छाला।
हाय गरीबी बैरी होगे, आँखी
छागे जाला।।
जाँगर टोर कमाथन कतको,
मिलय नहीं जी पसिया।
मार डरत हे मँहगाई हा, घेंच
दँता के हसिया ।।
नेता मन सब घूम घूम के,
करते रहिथें वादा।
झोरत हें उन आनीं बानीं,
छोंड़ हमर बर खादा ।।
बनत योजना सरकारी हे, रंग
रंग के भारी।
धन खुसरत हे बड़का मन
घर ,सुन्ना हमर दुआरी ।।
काकर आगू रोवन
गावन ,दुःख सुनावन काला।
भैरा हे सरकार निचट
गा ,बइठे पहिरे माला।।
शिक्षा के हथियार उबा
के,हम तो कइसे लड़बो।
सुन के फीस छाय बेहोशी,
काला बेंचे भरबो ।।
सेठ सकेले भरे खजाना,
चपके भर्री धनहा ।
पथरा पटकत हमरे
छाती,साहत हवन किसनहा।।
मिलजुल के सब लड़बो
भाई, तभे पार ला पाबो।
हक ला अपन झटकबो जब जी तब दू कौंरा खाबो।।
छंदकार--चोवा राम 'बादल'
हथबन्द,बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़
वाह वाह आम आदमी के पीरा ला सार छंद के माध्यम ले बड़ जोरदार तरीका ले प्रस्तुत करे हव गुरुदेव, आपके लेखनी ला नमन
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना गुरुजी
ReplyDeleteबधाई हो
महेन्द्र देवांगन माटी
जबरदस्त रचना भइया जी।बधाई
ReplyDeleteलाजवाब शानदार धारदार।
ReplyDeleteचोवा भइया के छंद सार।।
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहूतेच बढ़िया आदरणीय।
ReplyDeleteबहुते सुग्घर सच्चाई ल उजागर करें हव गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना गुरुदेव
ReplyDeleteकिसान के यथार्थ चित्रण, बधाई गुरुदेव
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