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Friday, January 17, 2020

छन्न पकैया छंद -मोहन

छन्न पकैया छन्न पकैया , कइसन आय जमाना ।
फइले फैशन चारो कोती , कहिबे का का बताना ।।

छन्न पकैया छन्न पकैया , लाज शरम हर मरगे ।
नान नान कपड़ा मा संगी , फूहड़ता हर भरगे ।।

छन्न पकैया छन्न पकैया , फैशन हावय भारी ।
ददा दाई बरजय नही गा , कइसन हे लाचारी ।।

छन्न पकैया छन्न पकैया , कतका बात ल धरबे ।
घर मा लइका छूट पाय ता , बता तही का करबे ।।

छन्न पकैया  छन्न पकैया , कटे - फटे  हे  कपड़ा ।
अंग अंग जी झलकत हावय , देखव माते लफड़ा ।।

छन्न पकैया छन्न पकैया , कोनो नइ शरमाये ।
नोनी बाबू एक बरोबर , फैशन हवय लगाये ।।

छन्न पकैया   छन्न पकैया ,  घटना  रोजे बाढ़े ।
काला दोष लगाबे संगी , देखय सब झन ठाढ़े ।।

छन्न पकैया  छन्न पकैया , कोन हवय जी दोषी ।
पहिली गुनले बात ला सबो , झन कर ताता रोषी ।।

छन्न पकैया  छन्न पकैया ,  कइसन  ये  पहिनावा ।
छोड़व अइसन फैशन ला जी , बने सादगी लावा ।।

छन्न  पकैया  छन्न  पकैया  ,  हमर ये  जुमेदारी ।।
लइका मनला सुग्घर राखव , जम्मो नर अउ नारी ।।

      रचनाकार - मयारू मोहन कुमार निषाद
                        गाँव - लमती , भाटापारा ,
                    जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)

12 comments:

  1. गजब सुग्घर रचना भाईजी

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  2. गजब सुग्घर रचना भाईजी

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  3. बहुत सुग्घर रचना सर जी

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  4. वाह वाह लाजवाब सृजन

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  5. बहुत सुन्दर भाई

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  6. बहुत बहुत बधाई हो

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  7. सुन्दर रचना मोहन भाई

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