*पाठ- 1*
छन्द के बारे में जाने के पहिली थोरिक नान-नान बात के जानकारी होना जरूरी है जइसे अक्छर, बरन, यति, गति, मातरा, मातरा गिने के नियम , डाँड़ अउ चरन, सम चरन , बिसम चरन, गन . ये सबके बारे मा जानना घला जरूरी हे. त आवव ये बिसय मा थोरिक चर्चा करे जाये.
आपमन जानत हौ कि छत्तीसगढ़ी भाखा हर पूरबी हिन्दी कहे जाथे. हिन्दी के लिपि देवनागरी आय अउ छत्तीसगढ़ी भाखा घला देवनागरी लिपि मा लिखे अउ पढ़े जाथे.जेखर बरनमाला मा स्वर अउ बियंजन रहिथे. ये बरन मन ला बोले मा जतका बेर लागथे ओखर हिसाब ले नान्हें माने लघु अउ बड़कू माने गुरु बरन माने गे हे. साधना के रूप मा ये उदीम ला कई बछर पहिली आचार्य पिंगल मन करिन. पहिली दूसरी मा हमन बाराखड़ी पढ़े हन –
अ आ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ:
ह्रस्व - एमा “अ” “इ" “उ” अक्छर के अलावा “ऋ” अउ चन्द्रबिन्दु के मातरा वाले सबो स्वर अउ बियंजन ला ह्रस्व माने नान्हें माने लघु माने गे हे.
उदाहरन –
क कि कु कृ कँ
प पि पु पृ पँ
इनकर मातरा ला एक गिने जाथे .येमन ला बोले मा समझौ के एक चुटकी बाजे बरोबर समय लागथे.
बड़कू (गुरु) – आ ई ऊ ए ऐ ओ औ अं अ: ये सबो स्वर अउ इनकर मेल ले बने अक्छर मन ला बड़कू मातरा वाले माने गुरु, बरन माने गे हे. एमन ला बोले मा ह्रस्व माने नान्हें माने लघु ले दुगुना बेर लागथे .
उदाहरन –
का की कू के कै को कौ कं क:
पा पी पू पे पै पो पौ पं प:
कई बछर पहिली पिंगल बबा मन छन्द ऊपर बहुत साधना करीन वोमन नान्हें बर “I” अउ बड़कू बर “S” के चीन्हा बनाइन. पिंगल बबा के नियम मन ला नवा जुग के छन्द सास्त्री पंडित जगन्नाथ प्रसाद भानु मन वइसने के वइसने स्वीकार करीन. हिन्दी बरन माला के तीन बियंजन क्ष , त्र अउ ज्ञ मन जुड़वा अक्छर आँय. क्ष बने हे क् अउ ष के मेल ले . त्र बने हे त् अउ र के मेल ले . ज्ञ बने हे ज् अउ ञ के मेल ले तभो ले एखर मातरा एक माने जाथे . हाँ, जब ये तीन अक्छर मन कोन्हों सबद के बीच मा आथे तब दू मातरा के असर डारथे, एला बाद में अउ बने ढंग ले समझाए के उदीम करहूँ .
*मातरा गिने के नियम* – सबद , अक्छर मन के मेल ले बनथे, हर अक्छर अपन उच्चारन के हिसाब से बोले मा समय लेथे तेखर हिसाब ले नान्हें अउ बड़कू ला देख के गिनती करे जाथे .
मन = म + न
= नान्हें + नान्हें
= १ + १ = २
मान = मा + न
= बड़कू + नान्हें
= २ + १ = ३
मना = म + ना
= नान्हें + बड़कू
= १ + २ = ३
माना = मा + ना
= बड़कू + बड़कू
= २ + २ = ४
मँय = मँ + य
= नान्हें + नान्हें
= १ + १ = २
चन्द्रबिन्दु के मातरा वाले सबो स्वर अउ बियंजन ह्रस्व माने नान्हें माने लघु माने जाथे.
उदाहरन –
सँझकेरहा =
सँ + झ + के + र + हा =
नान्हें + नान्हें + बड़कू+ नान्हें + बड़कू
= १ + १ + २ + १ + २ = ७ ( इहाँ स ऊपर चन्द्रबिन्दु हे एला एक गिने जाही)
साँझ = साँ + झ
= बड़कू+ नान्हें
= २ + १ = ३
इहाँ “स” ऊपर आ के मातरा हे साथ मा चन्द्रबिन्दु हे. “स” , आ के मातरा के कारन अइसने बड़कू होगे हे ते पाय के “साँ” के मातरा २ माने बड़कू गिने गे हे .
अम् के मातरा वाले अक्छर चाहे सुरु मा आये चाहे बीच मा, बड़कू गिने जाथे .
संझा = सं + झा
= बड़कू+ बड़कू
= २ + २ = ४
मंतर = मं + त + र
= बड़कू+ नान्हें + नान्हें
= २ + १ + १ = ४
कमंडल = क + मं + ड + ल
= नान्हें + बड़कू + नान्हें + नान्हें = १ + २ + १ + १ = ५
*आधा अक्छर* – जब आधा अक्छर ले कोन्हों सबद सुरु होथे तब ओला मातरा के रूप मा नइ गिने जाय
स्तर = त + र
= नान्हें + नान्हें
= १ + १ = २
जब आधा अक्छर बीच मा आथे अउ ओखर पहिली ले अक्छर नान्हें रहे तब पहिली के अक्छर मा मातरा दू हो जाथे.
बस्तर = बस् + त + र
= बड़कू + नान्हें + नान्हें
= २ + १ + १ = ४
इहाँ धियान देने वाले बात हे कि अगर आधा अक्छर के पहिली वाले अक्छर बड़कू रहे तब ये आधा अक्छर गिनती मा नइ आवय
मास्टर = मास् + ट + र
= बड़कू + नान्हें + नान्हें
= २ + १ + १ = ४
इहाँ देखौ “मा” अपन आप मा बड़कू हे ते पाय के आधा स् हर गिनती मा नइ गिने गये हे.
जुड़वा अक्छर (संयुक्ताक्षर)
भ्रम = भ्र + म
= नान्हें + नान्हें
= १ + १ = २
अभ्रक = अभ् + र + क
= बड़कू + नान्हें + नान्हें
= २ + १ + १ = ४
क्रम = क्र + म
= नान्हें + नान्हें
= १ + १ = २
वक्र = वक् + र
= बड़कू + नान्हें
= २ + १ = ३
प्रलय = प्र + ल + य
= नान्हें + नान्हें + नान्हें
= १ + १ + १ = ३
विप्र = विप् + र
= बड़कू + नान्हें
= २ + १ = ३
अब “क्ष”, “त्र” अउ “ज्ञ” के मातरा के गिनती ला देखौ कि ये अक्छर मन ले सबद के सुरुवात होय ले गिनती कइसे होथे अउ ये अक्छर मन जब सबद के बीच मा आथे तब मातरा गिनती कइसे होथे. उदाहरन –
क्षमा = क्ष + मा
= नान्हें + बड़कू
= १ + २ = ३
रक्षक = रक् + ष + क
= बड़कू + नान्हें + नान्हें
= २ + १ + १ = ४
त्रय = त्र + य
= नान्हें + नान्हें
= १ + १ = २
पत्र = पत् + र
= बड़कू + नान्हें
= २ + १ = ३
ज्ञान = ज्ञा + न
= बड़कू + नान्हें
= २ + १ = ३
यज्ञ = यज् + ञ
= बड़कू + नान्हें
= २ + १ = ३
ऊपर के उदाहरन ले साफ़ हे कि “क्ष”, “त्र” अउ “ज्ञ” जब सबद के सुरुवात मा आथैं तो इनकर मातरा एक माने नान्हें माने लघु गिने जाथे. जब सबद के बीच मा आथे तब मातरा दू माने बड़कू माने गुरु गिने जाथे.
बिसेस - एक ठन अउ बात इहाँ धियान देये के हे कि ऊपर बताये सबो आधा अक्छर मन अपन पहिली वाले अक्छर के संग मातरा भार के कारन ओला बड़कू माने गुरु बना देथे फेर कोन्हों कोन्हों सबद मा आधा अक्छर में भार ओखर पहिली अक्छर ऊपर नहीं परै. अइसन सबद मा आधा अक्छर के पहिली वाले अक्छर हर नान्हें माने लघु च रहिथे जइसे कुम्हार सबद मा आधा अक्छर म् के भार पहिली के अक्छर कु ऊपर नहीं परत हे. बोले मा कुम् हार नहीं बोले जाय, कु म्हार के उच्चारन होथे ते पाय के कु अक्छर के मातरा नान्हें माने लघु गिने जाथे. अइसने कन्हैया मा आधा न् के भार क ऊपर नहीं परत हे. तुम्हार मा आधा म् के भार तु ऊपर नहीं परत हे. अइसन सबद मन मा मातरा के गिनती करत समय बिसेस धियान रखे जाना चाही.
उदाहरन -
कुम्हार = कु + म्हा + र = १ + २ + १ = ४ मातरा
कन्हैया = क + न्है + या = १ + २ + २ = ५ मातरा
तुम्हार = तु + म्हा + र = १ + २ + १ = ४ मातरा
*अरुण कुमार निगम*
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