*बरवै छंद- विधान*
*बरवै छंद (१२ + ७)*
डाँड़ (पद) - २, ,चरन - ४
तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा, गुरु-लघु (२,१)
हर डाँड़ मा कुल मातरा – १९ , बिसम चरन मा मातरा – १२, सम चरन मा मातरा- ७
यति / बाधा – १२, ७ मातरा मा
खास- बिसम चरन के आखिर मा १ बड़कू या २ नान्हें , सम चरन के आखिर मा बड़कू,नान्हें (२,१).
*उदाहरण*
*बेटी (बरवै छंद)*
बेटी बिन सुन्ना हे, घर परिवार
बेटी बनके लछमी , ले अउतार।।
घर के किस्मत देथे, इही सँवार
बिन बेटी के कइसे, परब-तिहार।।
बेटी के किलकारी , काटय पाप
मंतर जइसे गुरतुर, मंगल जाप ।।
तुलसी के बिरवा कस, बेटी आय
जेखर आँगन खेले , वो हरसाय ।।
सुनो गुनो का कहिथें, सबो सियान
महादान कहिलाथे, कन्या-दान ।।
अरे कसाई झन कर, अतियाचार
बेटी के पूजा कर, जनम सुधार।।
*अरुण कुमार निगम*
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