*आज के पाठ*
*र्* रारेफ़ के गोठ
काली के पाठ मा आप मन देखेव *र* जब व्यंजन के गोड़ ला धरथे माने खाल्हे मा रहिथे (प्र, क्र, ग्र आदि) तब ओ व्यंजन आधा हो जाथे अउ पहिली आथे। *र* ओ व्यंजन के बाद मा आथे, अउ पूरा रहिथे।
*मनखे के नम्रता घलो अइसने हे । मनखे ला पूरा बना देथे* अब देखव-
जब *र* काखरो मुड़ी ऊपर बइठथे तब का होथे। एला हमन प्रायमरी कक्षा ले रारेफ़ कहिथन।
*पर्व* इहाँ *व* व्यंजन के मुड़ी मा *र* बइठे हे। एला अइसे गिने जाही -
प र् + व = 2 + 1 = 3
जउन व्यंजन ऊपर *र* लगे हे वोहर पूरा रथे अउ र के बाद मा आथे।
*र* आधा होके अपन पहिली वाले लघु वर्ण ला गुरु बना देथे।
रारेफ़ से कभी कोई शब्द शुरू नइ होय। रारेफ़ के *र* आधा होके अपन पहिली वाले लघु वर्ण ला गुरु बना देथे।
मनखे के भी यही हाल है। कोनो ला अपन मुड़ी ऊपर बइठाहू त वोहर दूसर संग मिलके ओखर पॉवर बढ़ा देथे।
अर्थ =अर्+थ =2+1=3
*देखत हव ।बइठे हे थ उपर अउ बड़कू बनावत हे अ ला ।*
सिखावत सिखावत विचार आगे त, र के तुलना मनखे के सुभाव संग कर दे हँव। आप मन व्याकरण के सार सार बात ला सीखव।
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*आज के अभ्यास*
सर्द, आर्य, वर्तमान, वार्तालाप, आर्तनाद, सौहार्द्र, निर्वाह, ठेठर्रा, गोर्रा, अकर्मण्य।
अरूण कुमार निगम
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