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Tuesday, April 19, 2022

अनुनासिक अउ अनुस्वार

अनुनासिक अउ अनुस्वार


*चंद्रबिंदु* के प्रयोग *अनुनासिक* कहे जाथे। 


*पूर्ण बिंदु* के प्रयोग *अनुस्वार* कहे जाथे। 


दुनों के उच्चारण मा नासिका माने नाक के प्रयोग होथे।


अनुनासिक मा उच्चारण के बलाघात अतिक हल्का होथे (अल्प अवधि) कि जउन वर्ण ऊपर लगथे, वोकर मूल उच्चारण के समय मा कोनो बढ़ोतरी नइ करे। 


अगर लघु अक्षर मा चंद्रबिंदु लगथे तो एला लगा के पढ़ो या बिना लगाके पढ़ो, उच्चारण के समय एक चुटकी बजे के समय के बरोबर रहिथे। 


जब गुरु अक्षर मा लगथे तभो उच्चारण के समय मा फरक नइ आवय (एक चुटकी बजे के समय ले दुगुना समय लेथे)।आप मन उच्चारण करके अनुभव करव - 


हस / हँस


मझला / मँझला  


गाव / गाँव


खाव / खाँव


*अनुस्वार* माने पूर्ण बिंदु - 


जब कोनो लघु अक्षर के ऊपर अनुस्वार लगथे तब वो अक्षर के उच्चारण *गुरु* के उच्चारण के बरोबर समय लेथे। 


हंस (पक्षी के नाम)


अंग, रंग, संग


*अब हँस अउ हंस के उच्चारण करके देखव। हँ के उच्चारण लघुवत होथे अउ हं के उच्चारण गुरुवत होथे*


*मात्रा गणना मा जब लघु अक्षर के ऊपर चंद्रबिंदु लगे हे तब वो 1 गिने जाथे अउ जब पूर्ण बिंदु लगे हे तब 2 गिने जाथे*


*अनुनासिक माने चंद्रबिंदु हमेशा शिरोरेखा के ऊपर लिखे जाथे। अगर शिरोरेखा के ऊपर कोनो मात्रा घलो हे तब चंद्रबिंदु के प्रयोग नइ करे जाय फेर उच्चारण अनुनासिक वाले उच्चारण होथे*


मँय (शिरोरेखा के ऊपर) ✅


*में* (शिरोरेखा के ऊपर ए के मात्रा के डंडी हे एला *मैँ* नइ लिखे जा सके।


में ✅

मेँ ❎

अरुण निगम

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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