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Tuesday, April 19, 2022

विधान- *चौपई छन्द*

विधान-

*चौपई छन्द* 

 (15-15)



*विधान* -

 15 - 15  मात्रा के 4 चरण वाले समपाद मात्रिक छन्द आय.

*विशेष बात-*

हर चरण के शुरू मा 2 मात्रा (द्विकल)अउ आखिरी मा गुरु-लघु माने 2,1 के त्रिकल आथे. अगर चौपाई छन्द के आख़िरी के 1 मात्रा  कम कर दिये जाय तो चौपई छन्द बन जाथे. 


*तुकान्त -*

 चारों चरण या प्रत्येक 2 चरण आपस मा तुकान्त होना चाही।


खास – *येला जयकरी या जयकारी छन्द घलो कहिथें*


*उदाहरण* - 


*छत्तीसगढ़ के भाजी-पचीसा*

              (चौपई छन्द) 


तिनपनिया के पाना तीन | झंगलू झटकै खावै छीन ||

गरमी के  भाजी  हे  चेंच | कस डारे भेजा के पेंच ||


महँगी  हे  भाजी बोहार | खीसा मोर हवै लाचार ||

चौलाई के बात न पूँछ | चैतू खावै  अइंठय मूँछ ||


भाजी लाल खाय लतखोर ।बिक्कट हाँसे दाँत निपोर ||

पालक पकलू के मन भाय | पचकौड़ी ला नँगत सुहाय ||


करमत्ता जब मंगतू खाय | अउ दे कहिके माँगत जाय ||

दार चना सँग भाजी प्याज |खाहूँ कहै  समारू आज ||


मुस्केनी मुच-मुच मुस्काय | पहिली असन नजर नइ आय ||

खाँसै  तभो खोटनी खाय | खोरबाहरा  मन लुलुवाय ||


बरबट्टी के भाजी मीठ | बंठू बनके खावै ढीठ ||

खाय पथरिया ला पतिराम | गूने घरवाली के नाम ||


कनवा समधी जंगल जाय | कोंवर देख चरोंटा लाय ||

मुनगा भाजी के गुन जान | खावै मंगलू मोर मितान || 


खावै जब सरसों के साग |  फगुवा  खूब सुनावै फाग || 

जब जब पोई भाजी लाय | भगतू भइया भजिया खाय || 


मनबोधी मेथी रँधवाय | करु लागै पर गजब मिठाय || 

मस्त मुरौठी गजब सुवाद | माँगै मगन मदन उस्ताद || 


गुन्डरू खावै गंगाराम | दिनभर करै  हकन के  काम || 

पटवारी जब पटवा खाय | पट्टा-खाता तुरत बनाय || 


भाजी- चना हवै चितचोर | मन मा हरियर उठे हिलोर ||

खाय गोल भाजी गुन गाय | गनपत गुन-गुन गावत जाय ||


कोंवर-कोंवर कोंहड़ा पान | भाजी आज बनाबो लान || 

इडहर बर अटके हे प्रान | लावौ  झटकुन कोचइ पान || 


गोभी भाजी गजब मिठाय |  खावै गुहाराम हरसाय ||

भाजी के लेवव आसीस। गिन डारव होगे पच्चीस।।

अरुण निगम

*अरुण कुमार निगम*

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