विधान-
*चौपई छन्द*
(15-15)
*विधान* -
15 - 15 मात्रा के 4 चरण वाले समपाद मात्रिक छन्द आय.
*विशेष बात-*
हर चरण के शुरू मा 2 मात्रा (द्विकल)अउ आखिरी मा गुरु-लघु माने 2,1 के त्रिकल आथे. अगर चौपाई छन्द के आख़िरी के 1 मात्रा कम कर दिये जाय तो चौपई छन्द बन जाथे.
*तुकान्त -*
चारों चरण या प्रत्येक 2 चरण आपस मा तुकान्त होना चाही।
खास – *येला जयकरी या जयकारी छन्द घलो कहिथें*
*उदाहरण* -
*छत्तीसगढ़ के भाजी-पचीसा*
(चौपई छन्द)
तिनपनिया के पाना तीन | झंगलू झटकै खावै छीन ||
गरमी के भाजी हे चेंच | कस डारे भेजा के पेंच ||
महँगी हे भाजी बोहार | खीसा मोर हवै लाचार ||
चौलाई के बात न पूँछ | चैतू खावै अइंठय मूँछ ||
भाजी लाल खाय लतखोर ।बिक्कट हाँसे दाँत निपोर ||
पालक पकलू के मन भाय | पचकौड़ी ला नँगत सुहाय ||
करमत्ता जब मंगतू खाय | अउ दे कहिके माँगत जाय ||
दार चना सँग भाजी प्याज |खाहूँ कहै समारू आज ||
मुस्केनी मुच-मुच मुस्काय | पहिली असन नजर नइ आय ||
खाँसै तभो खोटनी खाय | खोरबाहरा मन लुलुवाय ||
बरबट्टी के भाजी मीठ | बंठू बनके खावै ढीठ ||
खाय पथरिया ला पतिराम | गूने घरवाली के नाम ||
कनवा समधी जंगल जाय | कोंवर देख चरोंटा लाय ||
मुनगा भाजी के गुन जान | खावै मंगलू मोर मितान ||
खावै जब सरसों के साग | फगुवा खूब सुनावै फाग ||
जब जब पोई भाजी लाय | भगतू भइया भजिया खाय ||
मनबोधी मेथी रँधवाय | करु लागै पर गजब मिठाय ||
मस्त मुरौठी गजब सुवाद | माँगै मगन मदन उस्ताद ||
गुन्डरू खावै गंगाराम | दिनभर करै हकन के काम ||
पटवारी जब पटवा खाय | पट्टा-खाता तुरत बनाय ||
भाजी- चना हवै चितचोर | मन मा हरियर उठे हिलोर ||
खाय गोल भाजी गुन गाय | गनपत गुन-गुन गावत जाय ||
कोंवर-कोंवर कोंहड़ा पान | भाजी आज बनाबो लान ||
इडहर बर अटके हे प्रान | लावौ झटकुन कोचइ पान ||
गोभी भाजी गजब मिठाय | खावै गुहाराम हरसाय ||
भाजी के लेवव आसीस। गिन डारव होगे पच्चीस।।
अरुण निगम
*अरुण कुमार निगम*
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