विधान-रूप घनाक्षरी
विधान - 8, 8, 8, 8 वर्ण मा यति
अंत मा गुरु-लघु
*उदाहरण*
*गाँधी के गोठ*
(रूप घनाक्षरी)
(8,8,8,8 अंत गुरु, लघु)
गाँधी जी के गोठ ला भुलावौ झन भैया हो रे
हाथ के कूटे-पीसे चाँउर-दार आटा खाव
ठेलहा बेरा मा रोज चरखा चलाव अउ
खादी बुन पहिनत अउर ओढ़त जाव ।
गाँव-गोड़ा छोंड़ के सहर जाके बसौ झन
गाँव के खेती-बारी उद्योग-धन्धा पनपाव
एक माई के पिलवा साहीं रहो सब झन
सहकारिता मा तुम सुखी सब ला बनाव ।।
जनकवि कोदूराम "दलित" जी*
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