*विधान-सुन्दरी सवैया*
- 8 घाव सगण+ एक गुरु
सगण।।s यानि (112 X 8) अउ एक गुरु(s)
तुकांत - चारों पद मा होना चाही।
गरुवा बछरू मुरली धर के,
112 112 112 112
(सँग गो)(प-गुवा)(लन जा)
112 112 112
(वय का) (न्हा)
112 2
*उदाहरण*
*कान्हा (सुन्दरी सवैया)*
गरुवा बछरू मुरली धर के, सँग गोप-गुवालन जावय कान्हा ।
मथुरा बिंदराबन के बन मा , मुरली मदमस्त सुनावय कान्हा ।
मटकी भर माखन मंझन के, सबला बलवाय खवावय कान्हा ।
जब साँझ ढले लहुटे घर मा , अउ गोधन संग म लावय कान्हा ।।
पुन: ध्यान देवावत हँव-
*सवैया के 20 प्रकार हे।*
*हर सवैया मा चार पद (पंक्ति) होथे।*
*चारों पद के आपस मा तुकांत होना अनिवार्य हे।*
*सवैया लिखे के पहिली चार तुकांत शब्द सोच के रखना चाही।*
*सवैया, वार्णिक छन्द आय। एमा गण के प्रयोग होथे।*
*गण के संख्या अउ अंत मा लघु, गुरु के संख्या के आधार मा सवैया के 20 प्रकार होथे।*
*अभी हम सगण आधारित सवैया के अभ्यास करत हन।*
*दुर्मिल सवैया मा 8 सगण ।*
*अब,*
*सुंदरी सवैया मा 8 सगण के अलावा अंत मे एक गुरु रही*
*अरुण कुमार निगम*
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