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Thursday, April 14, 2022

पूज्य बाबा साहेब अम्बेडकर जयंती विशेष





भारत रत्न बाबा भीमराव अम्बेडकर जयंती विशेष छंद

 छप्पय छंद

*अंबेडकर जयंती*


भीम जयंती आय,चलव जी खुशी मनाबो।

घर अँगना मा आज,मया के दीप जलाबो।

संविधान के भीम,रहिस हे जी निर्माता।

दलित मसीहा जान,सबो के भाग विधाता।

ऊँज-नीच के भेद ला,भीम करे हे दूर जी।

मनखे के अधिकार बर,लड़े रहिस भरपूर जी।।


जग मा हावय कोन,भीम के जइसे ज्ञानी।

मानवता के भीम,पियाये सबला पानी।

सुमता समता लाय,सबो मनखे मा भाई।

बाबा भीम महान,अबड़ ये करे भलाई।

भारत माँ के वीर ला,बारम्बार प्रणाम जी।

भीम राव अम्बेडकर,जुग-जुग रइही नाम जी।।


डी.पी.लहरे"मौज"

बायपास रोड़ कवर्धा

छत्तीसगढ़

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..(बरवै छन्द)


मनखे के गुन अवगुन ला पहिचान।

करथें  जी  ओकर  आदर  सम्मान।।१।।


अच्छाई   के    होथे   हरदम  जीत।

कभू  बुराई  सँग  झन  बाढ़य प्रीत।।२।।


करम  मुताबिक जात  बरन के भेद।

भितिया  ऊँच  नीच  के बीच अभेद।।३।।


टारे    बर   एला  आइन   लौ  जान।

आजे  के   दिन  बाबा  भीम  महान।।४।।


बुद्धि  न  चीन्हय  मनखे के तो जात।

सबके   माथा   मा  तो   नई  समात।।५।।


बाबा   साहब  अड़बड़   ज्ञानी  जान।

संविधान   के  रचना  करिन  सियान।।६।।


करिन  दलित  शोषित के  उन उद्धार।

देवाइन     उनला     समता  अधिकार।।७।।


बेटी   माई   के   तक   राखिन   ध्यान।

धरम   अरथ   के  ज्ञाता  रहिन  महान।।८।


संविधान   भारत   के  गढ़िंन  सियान। 

आजाद  देश  मा  लाइन  नवा  बिहान।।(9)


उंखर     योगदान     के     नइए    छोर।

बरने   बर   हे   कहाँ  कलम   मा  जोर।।(10)


बाबा      जी      ला    बारंबार   प्रणाम।

बाट   तोर   जोहत    हे   आज  अवाम।।(11)

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सूर्यकान्त गुप्ता, सिंधिया नगर दुर्ग(छ.ग.)

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कुण्डलिया छंद- कर्जदार हन भीम के


पिछड़े दलित समाज अउ, सबके तारनहार।

कर्जदार हन भीम के, चुका चलौ उपकार।।

चुका चलौ उपकार, मिशन हम भीम बढ़ाइन।

सोये हे जो कौम, नींद से आज जगाइन।।

संविधान लौ थाम, कभू सुख शांति न उजड़े।

तथाकथित धर राह, कब तलक रइहौ पिछड़े।।1


बनके नमक हराम कुछ, गाँथय पर गुनगान।

संविधान अउ भीम ले, मिले हवय सुख शान।।

मिले हवय सुख शान, पढ़ाई के आजादी।

झन भूलव इतिहास, अपन दुख अउ बरबादी।।

भीम बदौलत आज, चलत हौ तुम बन ठनके।

मिशन बढ़ावव भीम, असल अनुयायी बनके।।2


अबला सबला दीस हे, भीम इहाँ अधिकार।

फेर भुलागे आज इन, बन करके गद्दार।।

बन करके गद्दार, मगन हे सुख सुविधा मा।

याद करौ इतिहास, रहिस जिनगी दुविधा मा।

रोटी वस्त्र मकान, दिलाइस हे जे सब ला।

नारी कर उत्थान, कहिस इन नइहे अबला।।3


🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़ )

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भीमराव अंबेडकर


जय बोलव जय भीम के,भारत माँ के लाल।

सुग्घर रचे विधान ला, पुरखा  करे कमाल।।


छुआ छूत के भेद ला,तँय हा दिए मिटाय।

जय बाबा अंबेडकर,जग मा नाम कमाय।।


संविधान  के  कल्पना, करे  तहीं  साकार।

ऊँच नीच के भेद अउ,दलित करे उद्धार।।


बाबा  तोरे   ज्ञान मा, कोनों  नहीं  समान।

भटके  भूले  ला तहीं, बना  दिए  इंसान।।


बाबा जय हो भीम के, पइँया लागँव तोर।

सुमता के दीया जला,जग मा करे अँजोर।

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रचनाकार - 

बोधन राम निषादराज

सहसपुर लोहारा, जिला - कबीरधाम(छ.ग.)

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 सुखदेव: "सूरुज सम सुखदाता संविधान निर्माता"


लोकतंत्र पाये तैं पाये पद ला भाग्य विधाता के।

संगवारी सुध सुरता करले, संविधान निर्माता के।


चौदह अप्रेल अठ्ठारह सौ इन्क्यानवे ईसवी सन।

भीमराव के जनम भइस ॲंधियारी रात पहाती कन।


विश्वरतन के पिता रामजी सुबेदार सकपाल कहॅंय।

बाबा साहब ला माता भीमाबाई के लाल कहॅंय।


बचपन ले संघर्ष डगर के, पथरीला रस्ता रेंगिस।

संविधान के बॉंध बना के, सुख के जलधारा छेंकिस।


मध्यप्रदेश महू के माटी, गुण गाथे जे नाता के।

संगवारी सुध सुरता करले, संविधान निर्माता के।


भाग्य-वाद ला भेद बताइस, महिमा भागीदारी के।

चिन्ह्वाइस चलके देखाइस, चौखट करम दुवारी के।


शिक्षा समानता समता सुख के घर काला कहिथे जी।

पुरुषारथ के परदरशन बर अवसर काला कहिथे जी।


भारत के बढ़वार बड़ाई अउर भलाई कइसे हे।

ऑंखी ला अलखाइस देखाइस के देखव दइसे हे।


थके घमाये शोषित मनके, छानी छइहॉं छाता के।

संगवारी सुध सुरता करले, संविधान निर्माता के।


दफ्तर के दरवाजा-फइका, खुलगे अक्कल अलमारी।

खुर्शी मा बइठे खुश हावयॅं, सबन जाति के नर नारी।


सिपचाये ले अब नइ सिपचय, जात-धरम के चिंगारी।

भारत माता के लइकन मा, देखे लाइक हे यारी।


पछुआ परजा जनतन्तर मा, जनता जनार्दन होगे।

भले अपन अदरा आदत चलते लाचार असन होगे।


शासन सत्ता सुलभ करइया, सूरुज सम सुखदाता के।

संगवारी सुध सुरता करले, संविधान निर्माता के।


रचना-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''

गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़

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ज्ञानू कवि: छप्पय छंद


अंबेडकर जयंती


काय हमर अधिकार, बताइस बाबा हावय।

रोटी वस्त्र मकान, इहाँ सब मनखे पावय।।

जाँति- पाँति के भेद, मिटाइस हावय जग ले।

छुआछूत भरमार, हटाइस काँटा पग ले।।

संविधान लिखके इहाँ, करिस बड़े उपकार हे।

जनम जयंती मा तुँहर, शत शत घँव जोहार हे।।


ज्ञानु

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*चौपई  छंद (जयकारी छंद)*


अम्बेडकर जयंती



भीमराव रचदिन संविधान,दुनिया मा पाये सम्मान।

नाम सुरुज कस हे उजियार,जग बर करिन हवय उपकार।


जिनगी में बड़ दुख हे पाय,पग पग मा काँटा छेदाय।

छुआ छूत के रोग मिटाय, मानवता के पाठ पढ़ाय।


ऊँच नीच में बँधे समाज,वोमा कपटी मन के राज।

करे रहिन जीना दुश्वार ,पापी मन के पशु व्यवहार।


कठिन डहर में रेंगे पाँव, कोनो कर तो मिलही छाँव।

भीमराव जइसे हे कोन,आगी मा जस चमके सोन।


जे मन रहिन दुखी लाचार, उँखऱ करिन भीमा उद्धार।

जाति पाति के खाई पाट, ऊँच नीच के बेड़ी काट।


चमकत हावय देश समाज,भीमराव के सुघ्घर काज।

हे भारत के पूत महान,दुनिया करत हवय सम्मान।


भीमराव जग बर वरदान,मनखे रूप धरे भगवान।

पाये सब शिक्षा भरपूर,हो साहब या हो मजदूर।


भीमराव जी पाठ पढ़ाय,होय न अब कोई अन्याय।

सब मनखे हे एक समान,दुनिया के करदिन उत्थान।


आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

छत्तीसगढ़

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जीयत हौ सुख शान से, स्वाभिमान के संग।

येखर खातिर हे लड़े, भीमराव जी जंग।।

भीम राव जी जंग, लड़िस हे समानता बर।

कहिस सबो हे एक, बरोबर हे नारी-नर।।

तोला देइस मान, खुदे दुख आँसू पीयत।

संविधान के देन, हवस सुख जिनगी जीयत।।


निकलत नइहे शब्द दू, भीम राव के नाम।

बन अहसानफरोश अब, करत हवव बदनाम।।

करत हवव बदनाम, बने तुम कलम सिपाही।

संविधान के मान, बता तब कोंन बढ़ाही।।

बन के रहे गुलाम, रहिस जब हालत घिसलत।

दिये भुला वो काल, शब्द दू नइहे निकलत।।


नारी के उत्थान कर, देइस हक अधिकार।

फेर भुलागे हें बबा, तोर किये उपकार।।

तोर किये उपकार, बनाये महल अटारी।

शूट बूट अउ कोट, पहिन बनगे अधिकारी।।

सच्चाई ला छोड़, खड़े हें झूठ दुवारी।

संविधान के मान, समझ नइ पावत नारी।।


इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 14/04/2023

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: *आल्हा छंद* 

 *बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर* 


सामाजिक समता के खातिर,बने चलाये तँय अभियान|

भारत माँ के असली बेटा,संविधान के करथे मान||


जात पात के भरम मिटाये, नइ माने जीवन भर हार|

नियम लिखे तँय संविधान के,दीन हीन के हक अधिकार||


पुख्ता तँय अधिनियम बनाये, शोषित मनखे बर अधिकार|

समता सुमता सब मा लाये,युग पुरुष तोर जय जोहार||


शिक्षा दीप जलाये बढ़िया, खोल नौकरी सब बर द्वार|

पढ़ें लिखे के अवसर बनगे, अबला नारी कर उद्धार||


सब ला मत अधिकार दिए तँय, राजा अउ मजदूर किसान|

महिला के सम भागीदारी, कर दिखलाये एक समान||


तिन सौ चालीस अनुच्छेद मा, पिछड़े भाई मन के शान|

गठित करे आयोग बने तँय,शोषित मनखे देहे मान||


बिजली बैंक सिचाई जइसन, कल खाना के भरगे खान|

तुहँर लोक निर्माण विभागे, भारत भुइँया करिस महान|


हरमुख मनखे तोर जस गावँय, भीम नाम के बड़ उपकार|

कानूनी मानवता वादी, सबके राखे मया दुलार |


समदृष्टा तँय हर समाज के, भारत  बर नव सिरजनकार|

चौदह अप्रेल हवय जयंती, मनमा उमड़े खुशीअपार ||


छंदकार- अश्वनी कोसरे'प्रेरक' रहँगिया

कवर्धा कबीरधाम

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2 comments:

  1. सुघ्घर संकलन जय भीम जय संविधान

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