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Friday, April 22, 2022

विधान-सरसी छंद

विधान-सरसी छंद


*सरसी छन्द (१६-११)* 


डाँड़ (पद) - २, ,चरन - ४

  

तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ के आखिर मा 

माने सम-सम चरन मा, 


हर डाँड़ मा कुल मात्रा – २७ ,


विषम चरन मा मात्रा  – १६, 

सम चरण मा मात्रा - ११ 

यति / बाधा – १६, ११ मात्रा मा


खास- सम चरण  के आखिर मा गुरु, लघु (२,१)


उदाहरण - *भोले भगवान  (सरसी छन्द)* 


जब सागर-मंथन मा निकरिस, अपन करिस बिखपान। 

बिपदा ले  दुनिया - ल बचाइस , जै  भोले भगवान ।।


बिख  के आगी तपिस  गरा - मा, जइसे के बैसाख । 

मरघट-मा जा के सिव-भोला , बदन चुपर लिस राख ।। 


गंगा जी  ला जटा  उतारिस , अँधमधाय  के  नाथ  । 

मन नइ माढ़िस तब चन्दा ला , अपन बसाइस माथ ।। 


तभो  चैन  नइ  पाइस  भोला , धधके गर के आग। 

अपन नरी - मा हार बना के , पहिरिस बिखहर नाग ।। 


सीतलता खोजत - खोजत मा , जब पहुँचिस कैलास 

पारबती के  संग  उहाँ  सिव , अपन बनालिस वास।।


 *अरुण कुमार निगम*

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