*पाठ - 4*
*ऋ* के प्रयोग मा मात्रा गणना -
*ऋ* हमेशा लघु व्यंजन मा लगाए जाथे। ये लघु गिने जाथे चाहे शब्द के शुरू मा आय, चाहे अक्षर के बीच मा आये।
मृत 1+1 =2
अमृत 1+1+1 = 3
आकृति 2+1+1 = 4
पृथ्वी पृ थ् + वी,
इहाँ आधा थ के कारण पृ गुरु होही। माने 2+2
कृपाल 1+2+1
*एला बस सुरता राखव, अभ्यास के जरूरत नइये*
---------------------------------------
*मात्रा गणना के नियम के अपवाद*
एक ठन अउ बात इहाँ धियान देये के हे कि मात्रा गणना के पाठ मा सबो आधा अक्छर मन अपन पहिली वाले अक्छर के संग मातरा भार के कारन ओला बड़कू माने गुरु बना देथे फेर कोन्हों कोन्हों सबद मा आधा अक्छर में भार ओखर पहिली अक्छर ऊपर नहीं परै. अइसन सबद मा आधा अक्छर के पहिली वाले अक्छर हर नान्हें माने लघु च रहिथे
जइसे कुम्हार सबद मा आधा अक्छर म् के भार पहिली के अक्छर कु ऊपर नहीं परत हे. बोले मा कुम् हार नहीं बोले जाय, कु म्हार के उच्चारन होथे ते पाय के कु अक्छर के मातरा नान्हें माने लघु गिने जाथे.
अइसने कन्हैया मा आधा न् के भार क ऊपर नहीं परत हे.
तुम्हार मा आधा म् के भार तु ऊपर नहीं परत हे.
अइसन सबद मन मा मातरा के गिनती करत समय बिसेस धियान रखे जाना चाही.
*उदाहरण* -
कुम्हार = कु + म्हा + र
= १ + २ + १ = ४
कन्हैया = क + न्है + या
= १ + २ + २ = ५
तुम्हार = तु + म्हा + र
= १ + २ + १ = ४
*अभ्यास - 10*
अपन मन के 10अइसन शब्द चुनव जेमा आधा अक्षर बीच मा आथे, फेर अपन पहिली के लघु अक्षर ला, गुरु नइ बनाय। फेर इंकर मात्रा गणना करव। उदाहरण मा बताये पैटर्न मा मात्रा गणना करना हे।
*दूसर के उत्तर देखे बिना अभ्यास होही तभे आपके फायदा होही, इहाँ फेल होय के डर नइये, ज्यादा से ज्यादा का होही ? गलती होही, सीखे बर गलती होना बने होथे*
*अरुण कुमार निगम*
[2/6, 1:46 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *दोहा के नियम*
(1) कोई भी चरण जब चौकल शब्द से शुरू हो तब मात्राबाँट के शुरू मा 4 + 4 आना चाही।
(2) कोनो भी चरण जब त्रिकल शब्द से शुरू हो तब मात्राबाँट 3 + 3 + 2 से चालू होना चाही।
(3) मात्राबाँट बर कोनो द्विकल शब्द के बाद वाले शब्द के पहिली लघु अक्षर ला मिला के ओला त्रिकल माने जा सकथे।
(4) मात्राबाँट बर कोनो त्रिकल शब्द के बाद वाले शब्द के पहिली लघु अक्षर ला मिलाके चौकल माने जा सकथे।
(5) दू द्विकल शब्द ला आपस मा जोड़ के चौकल माने जा सकथे।
(6) एकल शब्द अउ त्रिकल शब्द ला आपस मा जोड़के चौकल माने जा सकथे।
*उदाहरण* -
बड़ा हुआ तो क्या हुआ
3 3 2 2 3
त्रिकल शब्द बड़ा से चरण चालू होय हे, बाद मा हुआ त्रिकल शब्द आय है। 3 अउ 3 मिल के 6 मात्रा माने समकल होगे। एखरे बाद द्विकल शब्द तो आये ले 3,3,2 के मात्राबाँट बन गे।
अगर ये चरण ला
बड़ा तो हुआ क्या हुआ
पढ़े जाय तो लय नइ बनही।
विषम चरण के अंत 2,1,2 से होना हे । क्या हुआ के मात्रा 2,1,2 आये हे।
चरण के कुल मात्रा 13 होइस।
*अब दूसर उदाहरण देखव* -
माटी कहे कुम्हार से
4 3 4 2
ये मात्राबाँट शब्द के अनुसार हे फेर हमला चौकल के बाद चौकल मानना हे।
(माटी) (कहे कु) (म्हार से)
4 4 2 1 2
इहाँ कहे त्रिकल शब्द हे। बाद के शब्द कुम्हार के पहिली लघु अक्षर कु, के संग चौकल (कहे कु) माने गेहे। अंत मे म्हार से 212, दोहा के विषम चरण के अनुसार आये हे।
*सम चरण के उदाहरण*
तू क्या रौंदे मोय
2 2 4 3
इहाँ दू द्विकल ला एक चौकल मानना पड़ही -
(तू क्या) (रौंदे) (मोय)
4 4 3
*सम चरण के एक अउ उदाहरण जो त्रिकल से चालू होय हे*
बड़े न बोलें बोल
3 1 4 3
इहाँ बड़े त्रिकल अउ न एकल ला जोड़ के चौकल मानना पड़ही।
(बड़े न) (बोलें) बोल
4 4 3
*एक अउ उदाहरण* -
धरम करम के बात
3 3 2 3
इहाँ त्रिकल के बाद त्रिकल अउ बाद मा द्विकल आये ले 3,3,2 बनिस। अंत मे गुरु-लघु (3)
*नियम ध्यान से पढ़व , कोई शंका हो त बतावव*
* अरुण कुमार निगम*
[2/6, 1:46 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *दोहा के अभ्यास के पहिली, जरुरी बात* -
1 - कभी भी मात्रा मिलाये बर मूल शब्द के मात्रा ला कम-ज्यादा नइ करना हे। जइसे पानी ले पानि, माटी ला माटि, दूर ला दुर, टीपा ला टिपा नइ करे जा सके।शब्द ला ओखर मूल प्रचलित उच्चारण अनुसार लिखना हे।
2 - दोहा के कोई भी चरण के शुरुवात *तीन अक्षर*(4 मात्रा) वाले अइसन शब्द से नइ करना हे जेखर मात्रा 121 माने लघु, गुरु, लघु हवे । अइसन शब्द ला जगण कहे जाथे। किसान, मकान, दुकान, जलाव, कनेर, कुम्हार, रमेश, सुरेश, बिहान- ये सब शब्द जगण आँय।
3. दोहा के कोनो चरण पाँच मात्रा वाले शब्द से नइ करना चाही, लय बाधित होथे। लोहार (221), डोंड़का (212), दसेरा (122), समरपन (11111), सुहागिन (1211), अँधियार (1121), बिहिनिया (1112), अइसन 5 मात्रा वाले शब्द चरण के शुरू मा नइ आना चाही।
दोहा दू डाँड़ के छन्द आय। देखे मा बहुत सरल होथे फेर सबसे कठिन छन्द आय।
कठिन ये पाय के कि अपन बात ला कहे बर दुये लाइन मिलथे। दू डाँड़ मा जतिक गहरा भाव लाहू, जतिक कसावट लाहू, दोहा वतके श्रेष्ठ बनही।
हर दोहा मा *घाव करे गंभीर* वाले लक्षण होना चाहिए। इहाँ घाव के मतलब चोट से नइये, भाव के गहराई से हे। पढ़ने वाला अउ सुनने वाला वाह कहे बर मजबूर हो जाना चाहिए। ये स्थिति अभ्यास करत करत मा आही।
*दोहा लिखे के पहिली जानव*
लय, छन्द के आत्मा होथे। सही शब्द संयोजन के बिना लय नइ आवै। खाली 13,11 मात्रा के गिनती करे ले दोहा नइ बनय।
हमर लिपि "देवनागरी-लिपि" कहे जाथे। ये लिपि के एक खासियत यहू हे कि सम मात्रा के बाद , सम मात्रा आये ले, या विषम मात्रा के बाद विषम मात्रा आये ले लय बनथे। एला गणित मा समझे जा सकथे।
(1) जब दू सम संख्या के जोड़ होथे तब परिणाम सम संख्या मा आथे।
2 + 2 = 4 (सम संख्या)
(2) जब दू विषम संख्या के जोड़ होथे तब भी परिणाम सम संख्या मा आथे।
3 + 3 = 6 (सम संख्या)
छन्द लिखत समय इही बात के ध्यान रखना हे कि त्रिकल शब्द के बाद हमेशा त्रिकल शब्द आये।*दू त्रिकल शब्द के बाद एक द्विकल शब्द रखना जरूरी होथे।
माने मात्राबाँट 3 + 3 + 2 = 8 बने।
वइसने द्विकल शब्द के बाद द्विकल शब्द आये। दू द्विकल शब्द मिल के चौकल बनाथें। चौकल के बाद चौकल आना जरूरी होथे।
माने मात्राबाँट 4 + 4 = 8 बने।
*ये मात्राबाँट हर चरण बर लागू होही*
अरुण निगम
[2/25, 4:49 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *आज एक नवा छन्द*
*रूपमाला छन्द* (मदन छन्द) 14-10
डाँड़ (पद) - 4, ,चरण - 8
तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरण मा, गुरु-लघु (2,1)
हर डाँड़ मा कुल मात्रा – २४ , बिसम चरण मा मात्रा – १४, सम चरण मा मात्रा- १०
यति / बाधा – १४, १० मात्रा मा
खास- एला मदन छन्द घला कहिथ
*मात्राबाँट*
2122 2122, 2122 21
लय बर अइसे गाके अभ्यास करव -
रूपमाला, रूपमाला, रूपमाला, रूप
या
लाललाला, लाललाला, लाललाला, लाल
*ध्यान रहे - तीसरा, दसवाँ, सत्रहवाँ अउ चौबीसवाँ मात्रा अनिवार्य रूप ले लघु होना चाही।बाकी जघा एक गुरु के बदला दू लघु घलो हो सकथे*
*उदाहरण*
देह जाही रूप जाही , छोड़ जाही चाम ।
जोर ले कतको इहाँ धन, कुछु न आही काम ।
कर धरम तँय कर करम तँय, अउ कमा ले साख ।
नाम रहि जाही जगत-मा , देह होही राख ।।
*कुमार निगम जी*
[2/26, 7:32 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: आज के पाठ मनन करे बर हे।
*छन्द के अंग*
*डाँड़ (पद)* –
छन्द रचना मन डाँड़- डाँड़ मा तुकबंदी करके लिखे जाथे. येखर एक पद ला एक डाँड़ कहे जाथे.
पहिली के ज़माना मा जब लिखे के साधन नहीं रहीस तब कवि मन अपन छन्द रचना ला गावत रहयँ अउ सुनइया मन सुन-सुन के आनंद पावत रहीन. एक डाँड़ (पद) गाये मा हफरासी झन लागे अउ साँस ऊपर घला जोर झन परे इही बिचार करके हर एक डाँड़ के बीच मा नियमानुसार रुक के साँस लेहे के बेबस्था करे गे होही . इही रूकावट ला यति कहे जाथे . एक डाँड़ मा एक घाव रुके ले वो डाँड़ दू बाँटा मा बँट जाथे .डाँड़ के इही टुकड़ा मन चरण कहे जाथे. छन्द के नियम के अनुसार एक डाँड़ मा दू या दू ले ज्यादा चरण हो सकथे .
सहर गाँव मैदान ला, चमचम ले चमकाव (पहिला डाँड़)
गाँधी जी के सीख ला, भइया सब अपनाव (दूसरइया डाँड़)
अब ये दू डाँड़ के छन्द रचना ला देखव. एहर दोहा कहे जाथे
*यति* -“सहर गाँव मैदान ला” कहे के बाद छिन भर रुके के बेबस्था हे माने एक यति होगे. तेखर बाद “चमचम ले चमकाव” कहिके पहिली डाँड़ या पद पूरा होइस हे.
अब दूसर डाँड़ ला देखव “गाँधी जी के सीख ला” कहे के बाद छिन भर रुके के बेबस्था हे माने एक यति होगे. तेखर बाद “भइया सब अपनाव“ कहिके दूसरइया डाँड़ या पद पूरा होइस हे.
*चरण* –
अब चरण ला जाने बर फेर ध्यान देवव –
सहर गाँव मैदान ला (पहिली चरण ),
चमचम ले चमकाव (दूसरइया चरण )
गाँधी जी के सीख ला (तिसरइया चरण ),
भइया सब अपनाव (चउथइया चरण )
साफ़-साफ़ दीखत हे कि दू डाँड़ (पद) के दोहा छन्द मा पहिला डाँड़ यति के कारन दू चरण मा बँट गे हे . वइसने दूसर डाँड़ घला यति के कारन दू चरण मा बँट गे हे. याने कि दोहा के दू डाँड़ मन चार चरण बन गे हें .
पहिली चरण अउ तिसरइया चरण ला बिसम चरण कहे जाथे. वइसने दूसरइया चरण अउ चउथइया चरण ला सम चरण कहे जाथे. त भइया हो डाँड़ अउ चरण के भेद ला इही मेर बने असन समझ लौ. .
दोहा छन्द मा एक यति आये ले एक डाँड़ दू चरण मा बँटे हे. वइसने छन्द त्रिभंगी के एक डाँड़ दू यति आये ले तीन चरण मा बँटथे अउ कहूँ-कहूँ तीन यति आये ले चार चरण मा घला बँटथे. कहे के मतलब जउन छन्द के जइसे नियम हे तउन हिसाब ले यति होथे अउ चरण के गिनती तय होथे. मोर बिचार ले आप मन यति अउ चरण के बारे में समझ गे होहू .
*गति* -अब गति (लय) के बारे में जान लौ. कोन्हों छन्द मा गढ़े रचना हो पढ़े या गाये मा सरलग होना चाही इही ला गति या लय कहिथे.
साफ़ - सफाई धरम हे , ये मा कइसन लाज ।
रहय देस मा स्वच्छता , सुग्घर स्वस्थ समाज ।।
(ये दोहा ला गा के देखौ, गाये मा कोनों बाधा नइहे त कहे जाही बने गति या लय हे )
अब इही दोहा के शब्द मन ला थोरिक आगू-पाछू करके गा के देखौ –
धरम साफ़ - सफाई हे , ये मा कइसन लाज
देस मा स्वच्छता रहय , सुग्घर स्वस्थ समाज
(कोनों नवा शब्द नइ डारे गे हे बस उही शब्द मन ला थोरिक आगू-पाछू करे गे हे. ये मा पहिली असन सरलगता नइ हे. कवि के यही काम हे कि कोन शब्द ला कहाँ रखे जाये कि सरलगता कहूँ झन टूटय.)
*तुकांत / पदांत*
डाँड़ / चरन के आखिर मा एक्के जइसन मात्रा अउ उच्चारन वाले शब्द रहे ले कहे जाथे कि डाँड़ / चरन मन तुकांत हें.
ऊपर के दुन्नों दोहा के डाँड़ के आखिर मा देखव –
चमकाव/ अपनाव अउ लाज / समाज
ये शब्द मन डाँड़ के आखिर मा आयँ हें इनकर मात्रा अउ उच्चारन एक्के जइसन हे. एमन तुकांत कहे जाथे.
अभी तक हमन व्याकरण संबंधित अभ्यास करत रहेन। छन्द के अभ्यास अब शुरू होही। आज के पाठ मा छन्द के अंग के जानकारी हे। कई झन पद अउ चरण मा भरम मा पड़ जाथें।कई किताब मन मा घलो पद ला चरण लिखाय हे। एक सिद्धांत ला अपनावव तब भरम नइ होही।
*पद* माने पूरा पंक्ति (लाइन)
*चरण* माने यति के कारण विभाजित एक हिस्सा।
*यति* माने पूरा पद ला पढ़त समय बीच मा नियमानुसार चिटिक थिराना (रुकना)
*गति* माने प्रवाह। बिना अटके पढ़ना या गाना।
*शब्द के लघु , गुरु के मात्रा के सही क्रम रहे ले प्रवाह बने रहिथे। सही क्रम कइसे रखे जाथे, यहू बाद के कक्षा मा बताये जाही*
*तुकान्त* माने कोनो दू पद के अंत के शब्द के एक्के असन उच्चारण। तुकान्त के विस्तृत जानकारी भी बाद मा दे जाही।
अभी बोलचाल के भाषा मा छन्द के अंग ला जाने रहव।
*हर साधक से निवेदन हे कि 24 घण्टा मा 10 से 15 मिनट के समय अभ्यास बर जरूर निकालव, ये कक्षा मन छन्द के नींव आयँ। नींव मजबूत रही त इमारत मजबूत रही*
यहू ला गुनव...........
मनखे के हाथ, गोड़, नाक, कान, आँखी, गाल, होंठ अउ अन्य बाहरी अंग ला हम अपन आँखी मा देख सकथन।
हिरदे, फेफड़ा, किडनी जइसे अंदरूनी अंग ला हम नइ देख सकन, फेर सम्बंधित डॉक्टर मन देख सकथें।
कई किसम के अंग के संग *परान* अउ *धड़कन* घलो होथे फेर परान अउ धड़कन ला कोनो देख नइ सकय, बस महसूस करे जा सकथे।
वइसने कोई भी छन्द मा पद, चरण, यति, तुकान्त, वर्ण, शब्द ला हम देख सकथन।
*भाव* छन्द के धड़कन आय अउ *लय* ओखर आत्मा / परान आय। ये दुन्नों देखे नइ जा सकय, महसूस करे जा सकथें।
*अरुण कुमार निगम*
[2/26, 7:32 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *तुकान्तता*
आपला जान के अचरिज होही कि छन्द के मूल विधान मा (संस्कृत के छन्द) तुकान्तता के अनिवार्यता नइ रहिस। बहुत बाद मा तुकांतता छन्द बर अनिवार्य होगे।
रीतिकाल अउ भक्तिकाल के छन्द मा तुकांतता दिखथे, आधुनिक काल के छन्द मा घलो तुकांतता अनिवार्य माने गेहे।
तुकांतता के गुणवत्ता तीन किसम के माने जाथे-
*उत्तम, मध्यम अउ निकृष्ट*
*उत्तम तुकान्त*
जब कोनो पद या चरण के अंतिम शब्द मा - अंतिम दू अक्षर समान हो ओखर पहली के अक्षर समान स्वर अउ समान मात्रा वाले हो तब *उत्तम गुणवत्ता* के तुकान्त होथे।
उदाहरण - आवय, जावय, खावय इहाँ अंतिम दू अक्षर *वय* सबके समान हे।ओखर पहिली के अक्षर गुरु मात्रा वाले अक्षर आय। क्रमशः आ, जा, खा।
नाल, जाल ,फाल, काल, हाल
इहाँ अंतिम अक्षर *ल* सबमें समान है। सबके पूर्ववर्ती अक्षर आ के मात्रा वाले समान उच्चारण के अक्षर आय। क्रमशः ना, जा, फा, का, हा अइसने अन्य गुरु मात्रा वाले शब्द आहीं।
मीन, बीन, दीन...... आदि।
*मध्यम गुणवत्ता के तुकान्त*-
जब अंतिम अक्षर समान रहे ओखर पहिली वाले अक्षर समान स्वर अउ समान मात्रा वाले हो लेकिन ये दुनों के पहिली वाले अक्षर स्वर अउ मात्रा मा *असमान* होथे।
उदाहरण - सुमत, बीपत
इहाँ मत अउ पत शुद्ध तुकान्त जरूर हें फेर स के उ के मात्रा अउ ब के ई के मात्रा स्वर अउ मात्रा मा असमान हे। ये मध्यम तुकान्त कहे जाही।
दूसर उदाहरण - जागत, पावत
इहाँ अंतिम अक्षर त दुनों मा समान है ओखर पहिली के अक्षर क्रमशः ग अउ व स्वर अउ मात्रा मा समान हे पर अलग अलग अक्षर आँय। ये दुनों के पहिली ज के आ के मात्रा अउ प के आ के मात्रा उच्चारण मा समान हे। जागत के शुद्ध तुकान्त लागत, भागत होही। पावत के शुद्ध या उत्तम तुकान्त आवत, भावत, लावत होही।
*मध्यम तुकान्त के प्रयोग गीत मा ज्यादा करे जाथे अउ मान्य भी हे। छन्द मा घलो मध्यम तुकान्त मान्य हे* फेर एखर गुणवत्ता 24 कैरेट जइसे नइ रही।
*साधक ला चाहिए कि अपन छन्द के गुणवत्ता रखे बर केवल उत्तम तुकान्तता ला अपनावे*
*निकृष्ट तुकान्तता* जउन अंतिम शब्द मा उपरोक्त दुनो बात के पालन नइ होय उहाँ निकृष्ट तुकांतता होथे।
*निकृष्ट तुकान्तता छन्द मा बिलकुल भी मान्य नइये*
उदाहरण -
अरपित, सुमिरत
करय, बनाय
किसानी, जमीनी
खेत, पेट
खजाना, नगीना
साल, बात
*अरुण कुमार निगम*
[2/26, 7:32 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *अभ्यास*
*एक सम्पूर्ण दोहा के मात्रा गणना*
दोहा मा 1 अउ 3 विषम चरण, अउ 2 अउ 4 सम चरण कहे जाथे। विषम चरण के कुल मात्रा 13 अउ सम चरण के कुल मात्रा 11 होथे। आवन इही ल देखन
*रसरी आवत जात ही, सिल पर पड़त निशान।*
*करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।*
रसरी आवत जात ही,
4 4 212
8 5
13
जड़मति होत सुजान।
4 3 121
4 4 3
8 3
11
विशेष- *कोनो भी शब्द के अधिकतम मात्रा 4 होथे ओखर ले जादा नही*
जइसे- अपरिचित
अ+ परिचित
1 4
*अब अपन पसंद के दोहा लेके ओखर चारों चरण के मात्रा गिनती करव*
[2/26, 7:32 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *दोहा छन्द*
दोहा के डाँड़ के मात्रा गणना के अभ्यास मा आप ध्यान देहू त कुछ *विशेषता* नजर आही -
*दोहा मा दू डाँड़ होथे*
*हर डाँड़ मा 13 मात्रा के बाद यति होथे* जेखर कारन डाँड़ हर दू चरण मा बँट जाथे।
*दूसर चरण 11 मात्रा के होथे* माने *दोहा के हर डाँड़ मा चौबीस मात्रा होथे*
ये हिसाब ले दोहा मा *कुल चार चरण* होथे।
पहला अउ तीसरा चरण 13 मात्रा के होथे। एला विषम चरण कहे जाथे।
दूसर अउ चौथा चरण 11 मात्रा के होथे। एला सम चरण कहे जाथे।
दोहा के हर डाँड़ के अंत मा गुरु, लघु मात्रा होथे। ये बात ला अइसनो बोल सकथव कि दोहा के सम चरण के अंत 2,1 से होथे।
विषम चरण के अंत लघु-गुरु से होथे माने 1,2 से होथे। विषम चरण कुल 13 मात्रा के होथे अउ अंत 1,2 से होथे एखर मतलब यहू हे कि *दोहा के विषम चरण के ग्यारहवाँ मात्रा लघु होना अनिवार्य हे*
तुकान्त - कल तक के अभ्यास के दोहा मा ध्यान देहू त पाहू कि
*दोहा के दूनों डाँड़ मन आपस मा तुकान्त रथे*
ये पाठ ला ध्यान देके पढ़व अउ नोटबुक मा नोट कर लेवव। *मन मा कहूँ शंका होही त पूछव*।
शंका पाठ मा बताये जानकारी के बारे मा होना चाहिए ।
अब दोहा के अभ्यास चालू होने वाला हे।
हर साधक के नियमित उपस्थिति अनिवार्य रही।
कक्षा ला साधना मान के समर्पित होके सीखना हे। अगर अइसे लागही कि कोनो साधक टाइम पास बर जुड़े हे, वो कक्षा ले लेफ्ट करे जा सकथे। संगेसंग जउन प्रशिक्षक उदासीन दिखही वहू लेफ्ट करे जा सकथें।
साधना बर समर्पण जरुरी होथे। समय सबके कीमती होथे। बिना अनुशासन के कोनो साधना पूरा नइ हो सके।
*आज हर क्षेत्र मा मठाधीशी चलथे, साहित्य के क्षेत्र घलो ये बीमारी ले अछूता नइये। बड़े अउ नामी कवि मन भाव नइ देवैं। नवा कवि ला हाथ धरके सिखैया गिनती के मिलहीं। बजार मा कविता सीखे बर किताब नइ मिलही। छन्द बर जउन किताब मिलही वो अपर्याप्त हे। किताब पढ़ के मनखे ज्ञानी हो जातिन त स्कूल, कालेज के का जरुरत रहितिस*?
ज्ञान बर अभ्यास अउ साधना जरुरी होथे। मोला विश्वास हे कि ये सत्र के साधक मन समर्पित होके छन्द साधना करहीं अउ छत्तीसगढ़ी साहित्य ला पोठ बनाहीं।
ये सत्र मा समर्पित प्रशिक्षक मन आप ला छन्द सीखे बर सहयोग करहीं। हम सब प्रशिक्षक, आप सब के उज्ज्वल भविष्य के कामना करत हन।
*दोहा के संबंध मा कोनो भी प्रकार के शंका हो त बेझिझक पूछव*
अरुण निगम
[2/26, 7:32 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *दोहा के नियम*
(1) कोई भी चरण जब चौकल शब्द से शुरू हो तब मात्राबाँट के शुरू मा 4 + 4 आना चाही।
(2) कोनो भी चरण जब त्रिकल शब्द से शुरू हो तब मात्राबाँट 3 + 3 + 2 से चालू होना चाही।
(3) मात्राबाँट बर कोनो द्विकल शब्द के बाद वाले शब्द के पहिली लघु अक्षर ला मिला के ओला त्रिकल माने जा सकथे।
(4) मात्राबाँट बर कोनो त्रिकल शब्द के बाद वाले शब्द के पहिली लघु अक्षर ला मिलाके चौकल माने जा सकथे।
(5) दू द्विकल शब्द ला आपस मा जोड़ के चौकल माने जा सकथे।
(6) एकल शब्द अउ त्रिकल शब्द ला आपस मा जोड़के चौकल माने जा सकथे।
*उदाहरण* -
बड़ा हुआ तो क्या हुआ
3 3 2 2 3
त्रिकल शब्द बड़ा से चरण चालू होय हे, बाद मा हुआ त्रिकल शब्द आय है। 3 अउ 3 मिल के 6 मात्रा माने समकल होगे। एखरे बाद द्विकल शब्द तो आये ले 3,3,2 के मात्राबाँट बन गे।
अगर ये चरण ला
बड़ा तो हुआ क्या हुआ
पढ़े जाय तो लय नइ बनही।
विषम चरण के अंत 2,1,2 से होना हे । क्या हुआ के मात्रा 2,1,2 आये हे।
चरण के कुल मात्रा 13 होइस।
*अब दूसर उदाहरण देखव* -
माटी कहे कुम्हार से
4 3 4 2
ये मात्राबाँट शब्द के अनुसार हे फेर हमला चौकल के बाद चौकल मानना हे।
(माटी) (कहे कु) (म्हार से)
4 4 2 1 2
इहाँ कहे त्रिकल शब्द हे। बाद के शब्द कुम्हार के पहिली लघु अक्षर कु, के संग चौकल (कहे कु) माने गेहे। अंत मे म्हार से 212, दोहा के विषम चरण के अनुसार आये हे।
*सम चरण के उदाहरण*
तू क्या रौंदे मोय
2 2 4 3
इहाँ दू द्विकल ला एक चौकल मानना पड़ही -
(तू क्या) (रौंदे) (मोय)
4 4 3
*सम चरण के एक अउ उदाहरण जो त्रिकल से चालू होय हे*
बड़े न बोलें बोल
3 1 4 3
इहाँ बड़े त्रिकल अउ न एकल ला जोड़ के चौकल मानना पड़ही।
(बड़े न) (बोलें) बोल
4 4 3
*एक अउ उदाहरण* -
धरम करम के बात
3 3 2 3
इहाँ त्रिकल के बाद त्रिकल अउ बाद मा द्विकल आये ले 3,3,2 बनिस। अंत मे गुरु-लघु (3)
*सम चरण(11) के अधिकतम मात्रा बाँट*
4421, 222221 अउ 33221
*विषम चरण(13) के अधिकतम मात्रा बाँट*
44212, 2222212 अउ 332212, 33412
*नियम ध्यान से पढ़व , कोई शंका हो त बतावव*
*अरुण कुमार निगम*
[2/26, 7:32 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *दोहा के समचरण*
- *दोहा मा दूसरा अउ चौथा चरण सम चरण कहिलाथे।*
- *सम चरण मा कुल 11 मात्रा होथे।*
- *अंत मा गुरु लघु(21) अनिवार्य होथे*
- *11 मात्रा के मात्रा बाँट निम्न हो सकथे*
*332 21* (त्रिकल के चालू होय ता)
* 2222 21, 44 21* (द्विकल या चौकल के चालू होय ता)
यहू ला जानव
दू मात्रा वाले शब्द- द्विकल
(मैं, दिन, शुभ,वह,जग)
तीन मात्रा वाले शब्द- त्रिकल
(जगत, यहाँ, चली, कर्म,)
चार मात्रा वाले शब्द- चौकल
(औषधि, कोठी, कदम्ब,बदला,)
पाँच मात्रा वाले शब्द-पंचकल
(आलाव, बढ़ावा, ओरछा,तलहटी)
[2/26, 7:32 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *दोहा के विषम चरण*
- *दोहा मा पहला अउ तीसरा चरण विषम चरण कहिलाथे।*
- *विषम चरण मा कुल 13 मात्रा होथे।*
- *अंत मा लघु गुरु(12) अनिवार्य होथे*
- *13 मात्रा के मात्रा बाँट निम्न हो सकथे*
*332 212* (त्रिकल के चालू होय ता)
*2222 212, 44 212* (द्विकल या चौकल के चालू होय ता)
*जगण (121 मात्रा वाले शब्द)अउ पंचकल(221/122/212) ले दोहा के शुरुवात नइ करना हे* एखर बारे मा बाद में बताये जाही
[2/26, 7:32 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *दोहा के दू डाँड़ म*-
* गागर म सागर रहे।
* कवि के भाव,बानी,सन्देश आदि सबो स्पस्ट होवय।
* चारो चरण आपस म स्वतंत्र अउ स्पस्ट अर्थ देवव।
* चारो चरण म लिंग,वचन,कारक,कर्ता, क्रिया अउ पुरुष आदि के प्रयोग विधान सम्मत होय।
* दोहा के कोनो भी चरण जगण ल (121)अउ तगण(221) ले शुरुवात नइ करना चाही।
* दोहा म लाक्षणिक प्रयोग(काव्य गुण),अलंकार,रस अउ शब्द चयन कवि के विशेष गुण अउ पांडित्य ल दर्शाथे,एखरो उप्पर ध्यान देना चाही।
* भाषा सरल अउ सहज होय,जेन सुनते ही पाठक के अन्तस् म समा जाय।
* दोहा के प्रत्येक चरण के अर्थ सर्वमान्य अउ प्रायोगिक होना चाही।विरोधाभाषा या संसय के स्थिति नइ उपजना चाही।
* विषय चयन प्रभावी होना चाही। सार्वभौमिक,तात्कालिक या फेर विलुप्तता उपर विचार मंथन उभारना चाही।
* मौलिकता उपर विशेष ध्यान देना चाही।
* आखर रूपी ब्रम्ह के उपयोग जुड़ाव,आत्मरंजन,समरसता,विकास आदि बर होना चाही, विखंडन,कलह,क्लेश ले परे होके।
*दोहा के दू डाँड़ मा,गुढ़ गुण ग्यान समाय।*
*सरल सहज भाँखा रहे,सबके मन ला भाय।*
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
[2/26, 7:32 PM] jeetendra verma खैरझिटिया: *अभ्यास*
नीचे म दिए दोहा अनुसार, प्रश्न मन के उत्तर देवव--
*रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।*
*टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाय।।*
1- *विषम चरण अउ सम चरण ल अलग अलग करके बतावव?*
उत्तर- विषम चरण(-----)(----)
सम चरण(----)(-------)
2- *तुकांत/ पदांत शब्द ल छाँट के लिखो? **
उत्तर- सम चरण मा तुकांत------
विषम चरण में तुकांत----
3 - *तीसर चरण के मात्रा बाँट करव?*
उत्तर-
4- *उक्त दोहा मा यति कोन कोन शब्द के बाद हे?*
उत्तर-
5- *उक्त दोहा मा कोन कोन से अलंकार हे?*
ऊत्तर--
6- *पहली चरण अउ चौथा चरण, सम मात्रिक शब्द ले चालू होय हे, या विषम मात्रिक शब्द ले, बतावव?*
उत्तर---
7- *चटकाय अउ जाय तुकांत उत्तम हे, मध्यम हे या फेर निम्न*?
उत्तर--
8- *चटकाय शव्द के जाय के आलावा अउ चार उत्तम तुकांत बतावव*?
उत्तर--
9- *गिरी, दरस, परख, उही, मनुष, धरा जइसन शब्द सम चरण के आखरी शब्द होही कि विषम चरण के?*
उत्तर--
10- *पहली पद के समाप्ति मा एक लाइन(।) अउ दूसर पद के समाप्ति मा दू लाइन(।।), दोहा मा जरूरी हे का?*
उत्तर---
प्रश्न अउ दोहा ल बने पढ़व समझव अउ अभ्यास करव, 10 में 10 सबके सही होना चाही।
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