मात्रा गणना के *अपवाद के नियम*
(ध्यान से पढ़व अउ नोट करव)
अपवाद के नियम केवल अइसन शब्द मा लागू होथे जेमा *आधा न* या *आधा म* या *आधा ल* शब्द के बीच मा आए अउ *आधा न या आधा म के बाद के अक्षर "गुरु मात्रा वाले ह" हो*
न्हा, न्हे, न्हो, न्ही, न्हौ, न्हू
या
म्हा, म्हे, म्हो, म्ही, म्हौ, म्हू
या
ल्हा, ल्हे, ल्हो, ल्ही, ल्हौ, ल्हू
अइसन शब्द बर अपवाद के नियम लागू होथे।
*माने आधा म, आधा न या आधा ल के बाद के अक्षर "गुरु मात्रा वाले ह अक्षर" आही, केवल तभे अपवाद के नियम लागू होही*
*तब आधा म, आधा न या आधा ल, अपन बाद वाले गुरु मात्रा के ह अक्षर के साथ लिखे जाही*
*अगर आधा म, आधा न या आधा ल के बाद लघु मात्रा वाले ह अक्षर रही तब मात्रा गणना के सामान्य नियम लागू होही*
*ये पाठ के एक एक शब्द ला बने चेत लगाके पढ़व*
पाठ-4
*मात्रा गणना मा अपवाद के नियम*
*मात्रा गणना के नियम के अपवाद जाने बर एला जानना भी जरुरी हे*-
व्यंजन वर्ग 1 2 3 4 5
क वर्ग क ख ग घ ङ
च वर्ग च छ ज झ ञ
ट वर्ग ट ठ ड ढ ण
त वर्ग त थ द ध न
प वर्ग प फ ब भ म
*पहला वर्ण कठोर अल्पप्राण कहे जाथे*
(क च ट त प पहला वर्ण आय)
*तीसरा वर्ण मधुर अल्पप्राण कहे जाथे* ।
(ग ज ड द ब तीसरा वर्ण आय ।)
*पाँचवाँ वर्ण अल्पप्राण कहे जाथे। ङ ञ ण न म पाँचवाँ वर्ण आय*।
ध्यान दव - *जब पहला अउ तीसरा के संयोग या जुड़ाव "ह" के साथ होथे तब दूसरा अउ चौथा महाप्राण वर्ण बनथे*
*आज के अभ्यास*
*अब आप मन पहला अउ तीसरा वर्ण के संग ह जोड़ के दूसरा अउ चौथा महाप्राण बना के बतावव। तब समझहूँ कि मोर बात पल्ले पड़थे*।
एक उदहारण मंय कर के बतावत हँव।
पहला वर्ण क + ह = ख
तीसरा वर्ण ग + ह = घ
एला अंग्रेजी के स्पेलिंग के अनुसार घलो समझ सकथव
क k
ख Kh
ग G
घ Gh
*पाठ -5*
*मात्रा गणना नियम के अपवाद*
हमन जान चुके हन कि
(1) व्यंजन के वर्ग के
पहला वर्ण - कठोर अल्पप्राण तीसरा वर्ण - मधुर अल्पप्राण दूसरा वर्ण - महाप्राण
चौथा वर्ण - महाप्राण
पाँचवाँ वर्ण - अल्पप्राण
(2) वर्ग के पहला अउ तीसरा वर्ण *ह* वर्ण के मेल से क्रमशः दूसरा अउ चौथा वर्ण बनाथे।
वर्ग के पाँचवाँ वर्ण ङ ञ ण न म अल्पप्राण हे।एमा *ह* वर्ण जोड़े से कइसे महाप्राण बनही ?
ङ ञ ण मा तो नहीं पर न अउ म ला ह वर्ण के साथ जोड़ के महाप्राण बनाय के जरुरत पड़थे, फेर एखर जुड़ाव बर कोनो नवा वर्ण नइ हे।
एला न्ह अउ म्ह के रूप में लिखे जाथे। न्ह अउ म्ह देखे मा संयुक्ताक्षर असन दिखथे फेर ये *अयुक्ताक्षर* आँय।
जैसे -
ख ला मानलो क् ह
घ ला मानलो ग् ह
छ ला मानलो च् ह
लिखे जाय तो येमन लघु ही रइहीं , ह के जोड़ वाला क्, ग् या च् अपन पहिली के लघु के उच्चारण ला गुरु नइ कर सकंय । वइसने ह के जोड़ वाला न् अउ म् अपन पहिली वाले लघु वर्ण ला गुरु नइ करय।
एखर उदाहरण देखव -
कन्हाई अन्हवाइ, जिन्ह, तुम्हारे तुम्हार आदि शब्द
जहां आधा न या आधा म वर्ण ह के साथ जुड़े हे, वहाँ मात्रा गणना के नियम मा अपवाद के स्थिति पैदा हो जाथे अउ न्ह या म्ह के पहिली के लघु अक्षर गुरु नइ बने बल्कि लघु रही जाथे।
*गणना नियम के अन्य अपवाद*
कुछ अइसने स्थिति अल्पप्राण वर्ण ल के संग हे। ल के भी जोड़ीदार महाप्राण नइ हे। अपवाद के नियम इहाँ भी लागू होथे। ल अउ ह के जुड़ाव ला ल्ह के रूप में लिखे जाथे। मल्हार शब्द म आधा ल के भार पहिले के लघु म ला गुरु नइ बनाही।शब्द के शुद्ध उच्चारण म ल्हार होथे। अल्होर दे, बिल्होर दे जैसे शब्द एखर उदाहरण आय।
*इहाँ एक बात ध्यान देना हे*
जब *ल* के बाद वाले *ह* गुरु रही तभे अपवाद के नियम लागू होथे।
जइसे - कुल्हाड़ी (1+2+2)
*परन्तु*
जब *ल* के बाद वाले *ह* , लघु रही तब *ल* के पहिली वाले लघु अक्षर गुरु बन जाही।
जइसे - कुल्हड़ (2+1+1)
*मात्रा गणना नियम के एक अउ अपवाद* -
जब यो या यौ के पहिली कोनो व्यंजन के आधा अक्षर संयुक्त होथे तभो पहली के लघु अक्षर गुरु नइ बनय।
गह्यो, रह्यौ, बन्यो, चल्यौ एखर उदाहरण आय। (पर वर्ण य के पहिली आधा व्यंजन आही तो अपन मूल गणना नियम लागू होही जइसे अहिल्या, नित्य आदि)
*अभ्यास - 11*
चिल्हर, दुल्हन, सत्य, सत्या, उन्हारी, कन्हार, जुल्म, संभव, सम्हल, माल्या, मल्यो, मल्ल
वन्य, ड्योढ़ी, लीन्हा
*अरुण कुमार निगम*
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