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Tuesday, April 19, 2022

तुकान्तता*

 *पाठ - 8*


*तुकान्तता*


आपला जान के अचरिज होही कि छन्द के मूल विधान मा (संस्कृत के छन्द)  तुकान्तता के अनिवार्यता नइ रहिस। बहुत बाद मा तुकांतता छन्द बर अनिवार्य होगे। 


रीतिकाल अउ भक्तिकाल के छन्द मा तुकांतता दिखथे, आधुनिक काल के छन्द मा घलो तुकांतता अनिवार्य माने गेहे। 


तुकांतता के गुणवत्ता तीन किसम के माने जाथे- 


*उत्तम, मध्यम अउ निकृष्ट*


*उत्तम तुकान्त*


जब कोनो पद या चरण के अंतिम शब्द मा - अंतिम दू अक्षर समान हो ओखर पहली के अक्षर समान स्वर अउ समान मात्रा वाले हो तब *उत्तम गुणवत्ता* के तुकान्त होथे।


उदाहरण - आवय, जावय, खावय इहाँ अंतिम दू अक्षर *वय* सबके समान हे।ओखर पहिली के अक्षर गुरु मात्रा वाले अक्षर आय। क्रमशः आ, जा, खा।


नाल, जाल ,फाल, काल, हाल


इहाँ अंतिम अक्षर *ल* सबमें समान है। सबके पूर्ववर्ती अक्षर आ के मात्रा वाले समान उच्चारण के अक्षर आय। क्रमशः ना, जा, फा, का, हा अइसने अन्य गुरु मात्रा वाले शब्द आहीं। 


मीन, बीन, दीन...... आदि।


*मध्यम गुणवत्ता के तुकान्त*-


जब अंतिम अक्षर समान रहे ओखर पहिली वाले अक्षर समान स्वर अउ समान मात्रा वाले हो लेकिन ये दुनों के पहिली वाले अक्षर स्वर अउ मात्रा मा  *असमान* होथे। 


उदाहरण - सुमत, बीपत 


इहाँ मत अउ पत शुद्ध तुकान्त जरूर हें फेर स के उ के मात्रा अउ ब के ई के मात्रा स्वर अउ मात्रा मा असमान हे। ये मध्यम तुकान्त कहे जाही। 


दूसर उदाहरण - जागत, पावत


इहाँ अंतिम अक्षर त दुनों मा समान है ओखर पहिली के अक्षर क्रमशः ग अउ व स्वर अउ मात्रा मा समान हे पर अलग अलग अक्षर आँय। ये दुनों के पहिली ज के आ के मात्रा अउ प के आ के मात्रा उच्चारण मा समान हे। जागत के शुद्ध तुकान्त लागत, भागत होही। पावत के शुद्ध या उत्तम तुकान्त आवत, भावत, लावत होही। 


*मध्यम तुकान्त के प्रयोग गीत मा ज्यादा करे जाथे अउ मान्य भी हे। छन्द मा घलो मध्यम तुकान्त मान्य हे* फेर एखर गुणवत्ता 24 कैरेट जइसे नइ रही।


*साधक ला चाहिए कि अपन छन्द के गुणवत्ता रखे बर केवल उत्तम तुकान्तता ला अपनावे*


*निकृष्ट तुकान्तता* जउन अंतिम शब्द मा उपरोक्त दुनो बात के पालन नइ होय उहाँ निकृष्ट तुकांतता होथे। 


*निकृष्ट तुकान्तता छन्द मा बिलकुल भी मान्य नइये*


उदाहरण - 


अरपित, सुमिरत 


करय, बनाय 


किसानी, जमीनी 


खेत, पेट 


खजाना, नगीना 


साल, बात


* अरुण कुमार निगम*

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