आज ले नवा छंद
*उल्लाला छन्द*
*के*
*दूसरा प्रकार*
अभी आप मन उल्लाला छन्द के पहिली प्रकार के अभ्यास करत हव, जेमा 13-13 यति के दू पद अउ सम-सम चरण मा तुकान्तता रहिस।
आज हम,
*उल्लाला छन्द के दूसरा प्रकार* के अभ्यास करबो।
ये प्रकार के विधान : 13 - 13 मात्रा मा यति होथे।
खास बात -
एखर *प्रत्येक पद के विषम अउ सम चरण आपस मा तुकान्त होथे*
*उदाहरण* -
जिनगी के दिन चार जी, हँस के बने गुजार जी ।
गोठ सियानी मान ले , संत गुरु के ज्ञान ले।।
(उदाहरण के उल्लाला मा पहिली पद के विषम चरण अउ सम चरण " चार जी अउ जार जी" आपस मा तुकान्त हें।
वइसने दूसर पद के विषम चरण अउ सम चरण "मान ले अउ ज्ञान ले" आपस मा तुकान्त हे।)
*माने दुनों पद (माने सम अउ सम चरण) आपस मा तुकान्त होना जरूरी नइये*
*अरुण कुमार निगम*
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