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Tuesday, April 19, 2022

छन्द के अंग*

 *पाठ-7*


आज के पाठ मनन करे बर हे।



*छन्द के अंग* 



*डाँड़ (पद)* –


छन्द रचना मन डाँड़- डाँड़ मा तुकबंदी करके लिखे जाथे. येखर एक पद ला एक डाँड़ कहे जाथे.


पहिली के ज़माना मा जब लिखे के साधन नहीं रहीस तब कवि मन अपन छन्द रचना ला गावत रहयँ अउ सुनइया मन सुन-सुन के आनंद पावत रहीन. एक डाँड़ (पद) गाये मा हफरासी झन लागे अउ साँस ऊपर घला जोर झन परे इही बिचार करके हर एक डाँड़ के बीच मा नियमानुसार रुक के साँस लेहे के बेबस्था करे गे होही . इही रूकावट ला यति कहे जाथे . एक डाँड़ मा एक घाव रुके ले वो डाँड़ दू बाँटा मा बँट जाथे .डाँड़ के इही टुकड़ा मन चरण कहे जाथे. छन्द के नियम के अनुसार एक डाँड़ मा दू या दू ले ज्यादा चरण हो सकथे . 


सहर गाँव मैदान ला, चमचम ले चमकाव    (पहिला डाँड़) 


गाँधी जी के सीख ला, भइया सब अपनाव    (दूसरइया डाँड़) 


अब ये दू  डाँड़ के छन्द रचना ला देखव. एहर दोहा कहे जाथे  


*यति*  -“सहर गाँव मैदान ला” कहे के बाद छिन भर रुके के बेबस्था हे माने एक यति होगे. तेखर बाद  “चमचम ले चमकाव” कहिके पहिली डाँड़ या पद पूरा होइस हे.


अब दूसर डाँड़ ला देखव “गाँधी जी के सीख ला” कहे के बाद छिन भर रुके के बेबस्था हे माने एक यति होगे. तेखर बाद  “भइया सब अपनाव“ कहिके दूसरइया डाँड़ या पद पूरा होइस हे. 



*चरण* – 


अब चरण  ला जाने बर फेर ध्यान देवव – 



सहर गाँव मैदान ला     (पहिली  चरण ),  


चमचम ले चमकाव    (दूसरइया चरण ) 


गाँधी जी के सीख ला    (तिसरइया चरण ), 


भइया सब अपनाव    (चउथइया चरण ) 


साफ़-साफ़ दीखत हे कि दू डाँड़ (पद) के दोहा छन्द मा पहिला डाँड़ यति के कारन दू चरण  मा बँट गे हे . वइसने  दूसर डाँड़ घला यति के कारन दू चरण  मा बँट गे हे. याने कि दोहा के दू डाँड़ मन चार चरण  बन गे हें . 


पहिली  चरण  अउ तिसरइया चरण  ला बिसम चरण  कहे जाथे. वइसने दूसरइया चरण  अउ चउथइया चरण  ला सम चरण  कहे जाथे. त भइया हो डाँड़ अउ चरण  के भेद ला इही मेर बने असन समझ लौ. . 


दोहा छन्द मा एक यति आये ले एक डाँड़ दू चरण  मा बँटे हे. वइसने छन्द त्रिभंगी के एक डाँड़ दू यति आये ले तीन चरण  मा बँटथे अउ  कहूँ-कहूँ तीन यति आये ले चार चरण  मा घला बँटथे. कहे के मतलब जउन छन्द के जइसे नियम हे तउन हिसाब ले यति होथे अउ चरण  के गिनती तय होथे. मोर बिचार ले आप मन यति अउ चरण के बारे में समझ गे होहू .



*गति* -अब गति (लय) के बारे में जान लौ. कोन्हों छन्द मा गढ़े रचना हो पढ़े या गाये मा सरलग होना चाही इही ला गति या लय कहिथे. 


साफ़ - सफाई  धरम हे , ये मा कइसन लाज  ।

रहय देस मा स्वच्छता , सुग्घर स्वस्थ समाज ।।


(ये दोहा ला गा के देखौ, गाये मा कोनों बाधा नइहे त कहे जाही बने गति या लय हे ) 


अब इही दोहा के शब्द मन ला थोरिक आगू-पाछू करके गा के देखौ – 


धरम साफ़ - सफाई  हे , ये मा कइसन लाज   

देस मा स्वच्छता रहय  , सुग्घर स्वस्थ समाज 


(कोनों नवा शब्द नइ डारे गे हे बस उही शब्द मन ला थोरिक आगू-पाछू करे गे हे. ये मा पहिली असन सरलगता नइ हे. कवि के यही काम हे कि कोन शब्द ला कहाँ रखे जाये कि सरलगता कहूँ झन टूटय.)    


*तुकांत / पदांत* 


डाँड़ / चरन  के आखिर मा एक्के जइसन मात्रा अउ उच्चारन वाले शब्द रहे ले कहे जाथे कि  डाँड़ / चरन  मन तुकांत हें. 



ऊपर के दुन्नों दोहा के डाँड़ के आखिर मा देखव – 


चमकाव/ अपनाव     अउ     लाज / समाज  


ये शब्द मन डाँड़ के आखिर मा आयँ हें इनकर  मात्रा अउ उच्चारन एक्के जइसन हे. एमन तुकांत कहे जाथे. 



अभी तक हमन व्याकरण संबंधित अभ्यास करत रहेन। छन्द के अभ्यास अब शुरू होही। आज के पाठ मा छन्द के अंग के जानकारी हे। कई झन पद अउ चरण मा भरम मा पड़ जाथें।कई किताब मन मा घलो पद ला चरण लिखाय हे। एक सिद्धांत ला अपनावव तब भरम नइ होही।


*पद* माने पूरा पंक्ति (लाइन)


*चरण* माने यति के कारण विभाजित एक हिस्सा।


*यति* माने पूरा पद ला पढ़त समय बीच मा नियमानुसार चिटिक थिराना (रुकना)


*गति* माने प्रवाह। बिना अटके पढ़ना या गाना। 


*शब्द के लघु , गुरु के मात्रा के सही क्रम रहे ले प्रवाह बने रहिथे। सही क्रम कइसे रखे जाथे, यहू बाद के कक्षा मा बताये जाही* 


*तुकान्त* माने कोनो दू पद के अंत के शब्द के एक्के असन उच्चारण। तुकान्त के विस्तृत जानकारी भी बाद मा दे जाही।


अभी बोलचाल के भाषा मा छन्द के अंग ला जाने रहव।


*हर साधक से निवेदन हे कि 24 घण्टा मा 10 से 15 मिनट के समय अभ्यास बर जरूर निकालव, ये कक्षा मन छन्द के नींव आयँ। नींव मजबूत रही त इमारत मजबूत रही*


यहू ला गुनव........... 


मनखे के हाथ, गोड़, नाक, कान, आँखी, गाल, होंठ अउ अन्य बाहरी अंग ला हम अपन आँखी मा देख सकथन। 


हिरदे, फेफड़ा, किडनी जइसे अंदरूनी अंग ला हम नइ देख सकन, फेर सम्बंधित डॉक्टर मन देख सकथें। 


कई किसम के अंग के संग *परान* अउ *धड़कन* घलो होथे फेर परान अउ धड़कन ला कोनो देख नइ सकय, बस महसूस करे जा सकथे। 


वइसने कोई भी छन्द मा पद, चरण, यति, तुकान्त, वर्ण, शब्द ला हम देख सकथन। 


*भाव*  छन्द के धड़कन आय अउ  *लय*  ओखर आत्मा / परान आय। ये दुन्नों देखे नइ जा सकय, महसूस करे जा सकथें। 


* अरुण कुमार निगम*


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*अभ्यास*


 *एक सम्पूर्ण दोहा के मात्रा गणना*


दोहा मा 1 अउ 3 विषम चरण, अउ 2 अउ 4 सम चरण कहे जाथे। विषम चरण के कुल मात्रा 13 अउ सम चरण के कुल मात्रा 11 होथे। आवन इही ल देखन


*करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।*

*रसरी आवत जात ही, सिल पर पड़त निशान।*


रसरी आवत जात ही,

    4      4     212

           8         5

                13


जड़मति होत सुजान।

     4        3 121

       4        4  3

             8      3

                  11


विशेष- *कोनो भी शब्द के अधिकतम मात्रा 4 होथे ओखर ले जादा नही*


जइसे- अपरिचित

          अ+ परिचित

            1       4


             बलवान

             बल+वान

               2     3


*अब अपन पसंद के दोहा लेके ओखर चारों चरण के मात्रा गिनती करव,गिनती के तरीका ऊपर मा बताये गे हे*


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