*खर्चा रुपैय्या (विधाता छन्द)*
अजी खर्चा रुपैय्या हे , कमाई चार आना हे
न बंदोबस्त रोटी के , न रोजी के ठिकाना हे
कहाँ जाबो कहाँ खाबो , इहाँ बैरी ज़माना हे
फजीता हे अगा संगी , हमेशा जोजियाना हे
विधाता छन्द (मात्रिक छन्द)
डाँड़ (पद) - 4
तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ मा
यति - 14, 14 मात्रा मा
मात्राबाँट - 1222 1222, 1222 1222
खास – 1, 8, 15 अउ 22 वाँ मात्रा लघु होना चाही। गुरु के जघा दू लघु रखे जा सकथे।
अजी खर्चा रुपैय्या हे , कमाई चार आना हे
{अ+जी+खर्+चा}
1 2 2 2
{रु+पै+या+हे}
1 2 2 2
{क+मा+ई+चा}
1 2 2 2
{र+आ+ना+हे}
1 2 2 2
*अरुण कुमार निगम*
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