विधान: *सार छन्द
*विषम चरण* - कुल 16 मात्रा (अंत मा *2,1* वर्जित)
(1) 4, 4, 4, 4
(2) 4, 3, 3, 2, 4
(3) 3, 3, 2, 4, 4
(4) 4, 4, 3, 3, 2
*सम चरण* - कुल 12 मात्रा
(अंत मा *2,1* वर्जित)
(1) 4, 4, 4
(2) 3, 3, 2, 4
(3) केवल विशेष स्थिति मा
4, 3, 3, 2
(माने अंत मा 2,1,2 झन आए)
सोला बारा मा यति देके, सार छन्द लिख डारव।
अंत रखव दू गुरु या चौकल, गुरतुर लय मा गा लव।।
सुरता करलव ! लइकाइपन, आही धीरे धीरे।
"यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ, होता यमुना तीरे।।
सार छन्द के गीत दूसरा, तुम ला याद दिलाहूँ ।
"माँ खादी की चादर ले दे, मैं गाँधी बन जाऊँ"।।
सार छन्द मा सुरता आ गे, गाना एक पुराना !
"ईचक दाना बीचक दाना, दाने ऊपर दाना।।
*अरुण कुमार निगम*
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