*विधान-अमृत ध्वनि छन्द*
डाँड़ (पद) - ६,
चरन- १६ ,
पहिली २ डाँड़ दोहा
अउ
बाद के ४ डाँड़ ८-८ के मातरा मा यति वाले ३-३ चरन
माने कुल २४-२४ मातरा के रहिथे फेर रोला नइ रहाय.
तुकांत के नियम –
दोहा के पहिली २ डाँड़ मा दोहा के नियम
अउ
बाद के ४ डाँड़ मा ८-८ के मातरा मा यति वाले ३-३ चरन .
हर डाँड़ मा कुल मातरा – २४
यति / बाधा – दोहा म १३,११ मा यति अउ बाद के ४ डाँड़ मा ८-८ मातरा के बाद यति.
खास - अमृत ध्वनि छन्द मा कुण्डलिया छन्द जइसे छै डाँड़ होथे. पहिली दू डाँड़ मन दोहा के होथे. दोहा के आख़िरी चरन कुण्डलिया छन्द जइसे तीसर डाँड़ के पहिली चरन बनथे. आख़िरी चार डाँड़ के हर डाँड़ मन आठ-आठ मातरा के समूह मा बँटे रहिथे. अमृत ध्वनि छन्द के पहिला सबद या सबद समूह अउ आख़िरी सबद या सबद समूह एक्के रहिथे.
*अमृत ध्वनि छन्द के आखरी ४ डाँड़* ८-८ के मातरा मा यति वाले ३-३ चरन माने कुल २४-२४ मातरा के रहिथे फेर *रोला नइ रहाय*
अउ *कुण्डलिया छन्द के आखरी डाँड़ रोला छन्द होथे*
*उदाहरण*
जब तँय जाबे (अमृत ध्वनि छन्द)
जाबे जब तँय जगत ले , का ले जाबे साथ
संगी अइसन करम कर, जस होवै सर-माथ
जस होवै सर - माथ नवाबे, नाम कमाबे
जेती जाबे , रस बरसाबे , फूल उगाबे
झन सुस्ताबे , अलख जगाबे , मया लुटाबे
रंग जमाबे , सरग ल पाबे, जब तयँ जाबे।।
अरुण कुमार निगम
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