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Friday, April 22, 2022

जै बजरंग बली ------------------ (वीर छंद)

 

जै बजरंग बली

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(वीर छंद)

पइयाँ लागवँ हे बजरंगी,पवन तनय अँजनी के लाल।

शंकर सुवन केशरी नंदन,भूत प्रेत के सँउहे काल।।

रामदूत अतुलित बलधारी,संकट मोचक सुमरौं नाम।

जेकर हिरदे के मंदिर मा, सदा बिराजै सीता राम।।

अजर अमर तैं चारों जुग मा,पल मा विपदा देथच टोर।

बाधा बिधन हटा दौ हनुमत,दंडाशरण परे हँव तोर।।

तैं कपिपति सुग्रीव सहायक,करे हवस बड़का उपकार।

रघुराई के संग मिलाये, होगे बालि तको भवपार।।

भक्त विभीषण के उपकारी,पागे वो लंका के राज।

तोर नाम के सुमरन करते,बनके रहिथे बिगड़े काज।।

शक्तिबाण मा लछिमन मूर्छित,लाके बूटी प्राण बँचाय।

भरत असन भाई अच कहिके,रघुनंदन हा कंठ लगाय।।

तहस नहस निसचर दल करके,दाँत कटर के ठाने युद्ध।

दसकंधर हा मूर्छित होगे,मारे मुटका होके क्रुद्ध।।

अहिरावण के भुजा उखाड़े, जाके मारे लोक पताल।

भक्तन रक्षक हे बजरंगी, बइरी बर अच तैं हा काल ।।।

जय जय जय बजरंग बली जय,जय जय जय जय जय श्रीराम।

हाथ जोर के बिनती हावय, भारत भुँइया हो सुखधाम।।


चोवा राम 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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